संरक्षण मानचित्रण में नया अध्याय
तमिलनाडु वन विभाग ने राज्य के कावेरी डेल्टा और कोल्लीडम नदी क्षेत्र में मगरमच्छों (Crocodylus palustris) की जनसंख्या का गहन मानचित्रण कार्य प्रारंभ किया है। अणकरई क्षेत्र में पहले ही 50 से अधिक मगरमच्छों की पुष्टि हो चुकी है। यह पहल बढ़ते मानव–मगरमच्छ टकराव को देखते हुए की गई है, क्योंकि नदियाँ, नहरें और तालाब जैसे साझा संसाधन इन टकरावों के केंद्र बनते जा रहे हैं।
सर्वेक्षण का दायरा और महत्त्व
यह लगभग 1,000 किलोमीटर लंबे जलाशयों तक फैला सर्वेक्षण थेनपन्नैयार और वीरानम झीलों जैसे प्रमुख जल निकायों को कवर करता है। अब तक 85 जीवित मगरमच्छ देखे जा चुके हैं, जो यह संकेत देता है कि राज्य में इनकी संख्या पहले से कहीं अधिक है। इससे पहले तमिलनाडु में मगरमच्छों के लिए कोई मूलभूत जनसंख्या डेटा मौजूद नहीं था। Wildlife Portal of India ने इस प्रयास को समर्थन देकर जोखिम भरे क्षेत्रों और धूप सेंकने वाले स्थलों की पहचान में मदद की है।
इस प्रकार का वैज्ञानिक निगरानी तंत्र केवल वन्यजीवों की सुरक्षा नहीं, बल्कि आम नागरिकों को आकस्मिक मुठभेड़ों से बचाने के लिए भी आवश्यक है।
मानव-वन्यजीव संपर्क और जोखिम क्षेत्र
अध्ययन से पता चला है कि अधिकांश महत्वपूर्ण मगरमच्छ आवास रिजर्व फॉरेस्ट से बाहर स्थित हैं, जिससे वे सामान्य जनता की पहुँच में आसानी से आ जाते हैं। मछली पकड़ना और खुले में शौच जैसी दैनिक गतिविधियाँ अक्सर उन्हीं क्षेत्रों में होती हैं जहां मगरमच्छ दिन में धूप सेंकते हैं। खासकर गर्मी के मौसम में, जब जल स्रोत सीमित हो जाते हैं, यह स्थिति संघर्ष को और बढ़ा देती है।
मगरमच्छ हॉटस्पॉट और प्रजनन केंद्र
तमिलनाडु में तीन सरकारी मगरमच्छ प्रजनन केंद्र पहले से मौजूद हैं:
- सथानूर – 299 मगरमच्छ
- होगेनक्कल – 93 मगरमच्छ
- अमरावती – 82 मगरमच्छ
ये केंद्र प्रजाति को जीवित बनाए रखने में भूमिका निभाते हैं, लेकिन ये प्राकृतिक आवासों की सुरक्षा का विकल्प नहीं बन सकते। मैदान में देखे गए मगरमच्छों के साथ इन केंद्रों के डेटा का उपयोग, भविष्य की संरक्षण रणनीति तैयार करने में किया जा रहा है।
सरकारी रणनीति और समाधान योजनाएँ
तमिलनाडु सरकार ने कडलूर जैसे उच्च जोखिम वाले जिलों में ‘आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम‘ बनाने का प्रस्ताव रखा है। ये टीमें मगरमच्छ दिखने की स्थिति में तेजी से कार्यवाही कर नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगी।
साथ ही सरकार द्वारा:
- धूप सेंकने वाले स्थलों तक पहुँच पर नियंत्रण,
- स्वच्छता ढाँचे का विकास,
- नदी किनारे बसे समुदायों के लिए जागरूकता अभियान
जैसी योजनाओं पर काम किया जा रहा है।
सरकार ने ₹2.5 करोड़ की राशि अणकरई मगरमच्छ संरक्षण केंद्र के लिए स्वीकृत की है। जमीन से जुड़ी अड़चनों के बाद वैकल्पिक स्थान तय किया गया है, जहाँ अब गंभीर शोध और पुनर्वास कार्य की योजना बनाई गई है।
STATIC GK SNAPSHOT
विषय | विवरण |
प्रजाति नाम | मगरमच्छ (Crocodylus palustris) |
मूल क्षेत्र | भारतीय उपमहाद्वीप, भारत में व्यापक वितरण |
तमिलनाडु में आवास | कोल्लीडम नदी, कावेरी डेल्टा, अणाइकरई |
प्रजनन केंद्र | सथानूर (299), होगेनक्कल (93), अमरावती (82) |
सर्वेक्षण क्षेत्र | लगभग 1,000 किमी जल स्रोत |
नया केंद्र बजट | ₹2.5 करोड़ (अणाइकरई मगरमच्छ केंद्र) |
संरक्षण मॉडल | आपातकालीन टीमें + जन जागरूकता |