एक नई समिति, पुरानी चिंता
राज्य अधिकारों को फिर से स्थापित करने की दिशा में एक साहसिक कदम उठाते हुए, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने भारत में केंद्र-राज्य संबंधों की समीक्षा के लिए एक उच्चस्तरीय समिति की घोषणा की है। यह कोई पहली बार नहीं है जब तमिलनाडु ने ऐसा कदम उठाया हो—1969 में सी. एन. अन्नादुरई के नेतृत्व में गठित राजमण्णार समिति ने भारत के संघीय ढांचे को लेकर व्यापक बहस छेड़ दी थी।
अब 2025 में, इतिहास दोहराया जा रहा है, और इस नई समिति की अध्यक्षता न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ करेंगे। यह पहल न केवल तमिलनाडु, बल्कि अन्य राज्यों में भी केंद्र की बढ़ती शक्तियों को लेकर बढ़ती असहजता को दर्शाती है।
राजमण्णार समिति ने क्या पाया था
1969 की समिति ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि भारत का संविधान संघीय दिखता जरूर है, पर इसका क्रियान्वयन अत्यधिक केंद्रीकृत है। अनुच्छेद 256, 257 और 365 केंद्र को राज्यों को निर्देश देने की शक्ति देता है। सबसे विवादास्पद अनुच्छेद 356 (राष्ट्रपति शासन) को हटाने की सिफारिश की गई थी।
समिति ने राज्यों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए स्थायी अंतर–राज्यीय परिषद की स्थापना की सिफारिश की और योजना आयोग (अब नीति आयोग) की आलोचना की क्योंकि वह संविधान के बाहर कार्य कर रहा था और वित्त आयोग की भूमिका को कमजोर कर रहा था।
क्यों जरूरी हुआ यह कदम? वर्तमान राजनीतिक पृष्ठभूमि
तमिलनाडु और केंद्र सरकार के बीच विवादों—जैसे नीट, भाषाई थोपना और जीएसटी क्षतिपूर्ति में देरी—के चलते यह समिति बनी है। अन्नादुरई की चेतावनी आज भी प्रासंगिक लगती है: जब केंद्र अपनी सीमाओं से बाहर जाता है, तो वह ताकतवर नहीं, बल्कि कमजोर होता है।
आज कई राज्य समान मुद्दों का सामना कर रहे हैं, ऐसे में यह समिति राष्ट्रीय स्तर पर संघवाद पर बहस को फिर से जीवित कर सकती है। तमिलनाडु की ऐतिहासिक भूमिका इसे और अधिक अर्थपूर्ण बनाती है।
अब आगे क्या होगा?
समिति से अपेक्षा की जा रही है कि वह संवैधानिक प्रावधानों की समीक्षा करेगी, कानूनी सुधारों की सिफारिश करेगी और वित्तीय व्यवस्थाओं को पुनर्विचार के लिए प्रस्तुत करेगी। लेकिन बड़ा सवाल यह है—क्या केंद्र कोई प्रतिक्रिया देगा?
पिछली रिपोर्टों, जैसे कि राजमण्णार समिति और सरकारिया आयोग, को गंभीरता से लागू नहीं किया गया। इसलिए, इस पहल का प्रभाव तभी पड़ेगा जब यह राज्यों के बीच सहमति और नागरिक समाज की भागीदारी को प्रेरित करे।
स्टैटिक जीके स्नैपशॉट
विषय | विवरण |
समिति का नाम | न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ समिति (केंद्र-राज्य संबंधों पर) |
घोषणा की गई | मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन, तमिलनाडु |
ऐतिहासिक संदर्भ | राजमण्णार समिति (1969), अध्यक्ष डॉ. पी. वी. राजमण्णार |
समीक्षा किए गए अनुच्छेद | 256, 257, 356, 365 |
अनुशंसित निरस्तीकरण | अनुच्छेद 356 (राष्ट्रपति शासन) |
प्रमुख सिफारिशें (1969) | अंतर-राज्यीय परिषद की स्थापना, वित्त आयोग की भूमिका की पुनर्समीक्षा |
प्रासंगिकता | संघवाद की पुनर्स्थापना, केंद्रीय हस्तक्षेप की आलोचना |
समकालीन राज्य संघर्ष | नीट, जीएसटी, भाषा नीति से जुड़े मुद्दे |