आठ वर्षों में पहली बार गिरावट
तमिलनाडु के कृषि और संबद्ध क्षेत्रों ने 2024–25 में -0.09% की नकारात्मक वृद्धि दर दर्ज की, जो पिछले आठ वर्षों में पहली बार हुआ है। यह आंकड़ा राज्य की आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में सामने आया है। भले ही यह गिरावट प्रतिशत के हिसाब से मामूली लगे, लेकिन इसका प्रतीकात्मक महत्व बड़ा है — यह एक ऐसे क्षेत्र में गहराते संकट को दिखाता है जो राज्य की ग्रामीण आबादी का प्रमुख आधार है।
तेज आर्थिक प्रगति के बीच कृषि की मंदी
आश्चर्य की बात यह है कि यह कृषि क्षेत्र की मंदी उस समय आई है जब तमिलनाडु ने देश में सबसे अधिक 9.69% की जीएसडीपी वृद्धि दर दर्ज की है। यह पिछले दस वर्षों की सर्वोच्च वृद्धि है। लेकिन जहां उद्योग और सेवा क्षेत्र तेज़ी से बढ़े, वहीं कृषि की गिरावट ने समावेशी विकास पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
कृषि क्षेत्र की संरचना और बदलाव
तमिलनाडु की कृषि और संबद्ध गतिविधियों में फसल उत्पादन, पशुपालन, वानिकी और मत्स्य पालन शामिल हैं। इनमें पशुपालन का योगदान 50% से अधिक है जबकि फसल उत्पादन करीब 40% है। 2024–25 में फसल क्षेत्र का योगदान घटकर 39% पर आ गया, जो सीधे तौर पर खेती में गिरावट का संकेत है। पिछले वर्षों में फसल क्षेत्र में क्रमशः 9.5% (2021–22), 3.3% (2022–23) और 4.2% (2023–24) की वृद्धि देखी गई थी। नई गिरावट बताती है कि मौसमी समस्याएँ, बाजार में अस्थिरता, या नीतिगत कमज़ोरियाँ इसकी वजह हो सकती हैं।
गिरावट के संभावित कारण
विशेषज्ञ मानते हैं कि अनियमित मानसून, बढ़ती लागत, और फसल बीमा प्रणाली की सुस्ती जैसे कई कारक इस गिरावट के लिए ज़िम्मेदार हो सकते हैं। पशुपालन और मत्स्य जैसे क्षेत्र अपेक्षाकृत स्थिर रहे हैं, लेकिन फसल आधारित खेती की स्थिति अधिक नाज़ुक होती जा रही है। डेल्टा क्षेत्र के बाहर सिंचाई सुविधाओं की कमी, धान और गन्ने जैसी फसलों की कीमतों में उतार–चढ़ाव, और ग्रामीण श्रमबल में गिरावट इस स्थिति को और जटिल बना रहे हैं।
आगे की दिशा और नीति की ज़रूरत
कृषि में यह नकारात्मक वृद्धि एक चेतावनी संकेत के रूप में देखी जानी चाहिए। यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो यह ग्रामीण रोजगार, खाद्य सुरक्षा और कल्याणकारी योजनाओं को प्रभावित कर सकता है। सरकार को चाहिए कि न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली को सुदृढ़ करे, सिंचाई अवसंरचना को बेहतर बनाए, और जलवायु सहनशील खेती को बढ़ावा दे। यह केवल आंकड़ों का मामला नहीं, बल्कि कई लाख किसानों की आजीविका से जुड़ा गंभीर सामाजिक-आर्थिक मुद्दा है।
Static GK Snapshot (हिंदी में)
विषय | विवरण |
राज्य | तमिलनाडु |
गिरावट वाला क्षेत्र | कृषि और संबद्ध गतिविधियाँ |
2024–25 की वृद्धि दर | -0.09% (वास्तविक रूप से) |
भारत में सर्वोच्च जीएसडीपी वृद्धि | तमिलनाडु – 9.69% |
प्रमुख कृषि घटक | फसल (~40%), पशुपालन (>50%) |
फसल वृद्धि दर (पिछले वर्ष) | 9.5% (2021–22), 3.3% (2022–23), 4.2% (2023–24) |
सकारात्मक वृद्धि वाले वर्ष | 2017–18 से 2023–24 |
डेटा स्रोत | तमिलनाडु राज्य सरकार का आर्थिक सर्वेक्षण |