आत्म-सम्मान विवाह क्या हैं?
आत्म-सम्मान विवाह जिन्हें सुइयमरियाधाई थिरुमनम कहा जाता है, तमिलनाडु में प्रचलित एक विशेष विवाह पद्धति है, जो पुजारी की उपस्थिति या पारंपरिक वैदिक अनुष्ठानों के बिना संपन्न की जाती है। इसके स्थान पर, वर-वधू एक-दूसरे को माला या अंगूठी पहनाते हैं, आपसी सहमति की घोषणा करते हैं, और विवाह दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करते हैं। यह पद्धति द्रविड़ विचारधारा और सामाजिक सुधार आंदोलन से प्रेरित है और जातिगत भेदभाव एवं धार्मिक कट्टरता के विरोध में उभरी है।
कानूनी ढांचा और मान्यता
इस प्रकार के विवाह हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 7(A) के अंतर्गत कानूनी रूप से वैध माने जाते हैं। यह विशेष प्रावधान तमिलनाडु संशोधन अधिनियम, 1967 द्वारा जोड़ा गया था। तमिलनाडु भारत का एकमात्र राज्य है जहाँ यह विशेष प्रावधान लागू है, जो बिना वैदिक संस्कारों के संपन्न विवाहों को मान्यता देता है। ऐसे विवाह का पंजीकरण आवश्यक होता है, जिससे जोड़ों को समान अधिकार और वैधता प्राप्त होती है।
2018 के बाद आत्म-सम्मान विवाहों में वृद्धि
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2018 से 2024 के बीच तमिलनाडु में 12,114 आत्म-सम्मान विवाह पंजीकृत हुए हैं। यह आंकड़ा दिखाता है कि समाज में समानता और धर्मनिरपेक्षता को प्राथमिकता देने वाले विवाहों की स्वीकार्यता बढ़ी है, जो जाति-आधारित या भारी-भरकम अनुष्ठानों वाले विवाहों को अस्वीकार करते हैं। इनमें से कई विवाह अंतर-जातीय या अंतर-धार्मिक भी होते हैं, जो तार्किकता और समानता की भावना को बढ़ावा देते हैं।
सांस्कृतिक महत्व और सामाजिक सुधार
आत्म-सम्मान विवाह की अवधारणा को पहली बार पेरियार ई.वी. रामासामी ने लोकप्रिय बनाया, जो आत्म-सम्मान आंदोलन के जनक थे। उन्होंने जोड़ों को ब्राह्मणवादी अनुष्ठानों के बिना विवाह करने के लिए प्रोत्साहित किया, ताकि जातीय बाधाओं को तोड़ा जा सके। आज यह पद्धति युवाओं और प्रगतिशील समुदायों के बीच लोकप्रिय बनी हुई है, जो गरिमा, सादगी, और बिना धार्मिक मध्यस्थता के कानूनी मान्यता की ओर आकृष्ट होते हैं।
Static GK जानकारी सारांश
विशेषता | विवरण |
विवाह प्रकार | आत्म-सम्मान (सुइयमरियाधाई थिरुमनम) |
प्रचलन राज्य | तमिलनाडु |
कानूनी प्रावधान | हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 7(A) |
संशोधन द्वारा लागू | तमिलनाडु संशोधन अधिनियम, 1967 |
कानूनी समावेश वर्ष | 1967 |
अवधारणा के प्रवर्तक | पेरियार ई.वी. रामासामी |
पंजीकृत विवाह (2018–2024) | 12,114 |
विवाह प्रकृति | पुजारी या वैदिक अनुष्ठानों के बिना |
कानूनी आवश्यकता | आपसी सहमति, आधिकारिक पंजीकरण |
सांस्कृतिक उद्देश्य | सामाजिक सुधार, जातीय समानता, तार्किकता |