हाशिए पर खड़े समुदायों के लिए आर्थिक सहारा
तमिलनाडु सरकार ने 2025 में ‘उरुधुनई योजना’ की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों, विशेष रूप से आदि द्रविड़ और आदिवासी समुदायों से आने वाले छोटे व्यापारियों, निर्माताओं और खुदरा विक्रेताओं को सूक्ष्म ऋण उपलब्ध कराना है। ₹25 करोड़ की वित्तीय राशि के साथ यह योजना सभी के लिए समावेशी आर्थिक विकास को बढ़ावा देती है।
राज्य सरकार की सहायता से समावेशी वित्तीय सुविधा
उरुधुनई योजना के तहत ऋण सब्सिडी युक्त ब्याज दरों पर दिए जाएंगे ताकि लाभार्थियों को कर्ज़ के जाल में फंसे बिना अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने में मदद मिले। तमिलनाडु सरकार ब्याज पर सब्सिडी प्रदान करेगी और ऋण सहकारी बैंकों के माध्यम से वितरित किए जाएंगे ताकि यह ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों तक आसानी से पहुँच सके।
राष्ट्रीय वित्त विकास निधि की भूमिका
इस योजना को राष्ट्रीय वित्त विकास निधि (National Finance Development Fund) का समर्थन प्राप्त है, जो भारत सरकार द्वारा संचालित एक पहल है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि कम जोखिम वाला वित्तीय ढांचा तैयार हो जो कम प्रतिनिधित्व वाले व्यवसायिक वर्गों को मजबूती प्रदान करे। यह राज्य और केंद्र सरकार की साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
अपेक्षित प्रभाव और सामाजिक महत्व
इस योजना से उन हजारों छोटे उद्यमियों को बल मिलेगा जो पारंपरिक बैंकिंग प्रणाली से दूर हैं। यह न केवल स्थानीय विनिर्माण और रोजगार सृजन को बढ़ाएगा बल्कि हाशिए पर खड़े समुदायों में आर्थिक असमानता को भी कम करेगा। विशेष रूप से अनुसूचित जाति और जनजातीय बहुल क्षेत्रों में इसका प्रभाव दीर्घकालिक होगा।
Static GK Snapshot
विषय | विवरण |
योजना का नाम | उरुधुनई योजना |
राज्य | तमिलनाडु |
प्रारंभ वर्ष | 2025 |
लक्षित लाभार्थी | आदि द्रविड़ और आदिवासी छोटे व्यापारी/निर्माता |
ऋण राशि का आकार | ₹25 करोड़ |
ऋण वितरण चैनल | सहकारी बैंक |
ब्याज सब्सिडी प्रदाता | तमिलनाडु राज्य सरकार |
समर्थन संस्था | राष्ट्रीय वित्त विकास निधि |
उद्देश्य | वंचित वर्गों को सस्ती दर पर सूक्ष्म ऋण प्रदान करना |
परीक्षा उपयोगिता | UPSC, TNPSC, SSC, बैंकिंग परीक्षाओं के लिए Static GK |