नए विनियमों के बारे में
तमिलनाडु सरकार ने नशामुक्ति केंद्रों के लिए ‘राज्य मानसिक स्वास्थ्य न्यूनतम मानक विनियम 2025′ को अधिसूचित किया है। यह कदम नशे की लत से पीड़ित रोगियों के लिए उपचार सेवाओं और पुनर्वास ढांचे को मानकीकृत करने की दिशा में एक बड़ी पहल है। ये विनियम मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 के तहत तैयार किए गए हैं।
नशामुक्ति केंद्रों का वर्गीकरण
इन नए मानकों के अनुसार, नशामुक्ति केंद्रों को दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है:
- कम्प्रिहेन्सिव डि–एडिक्शन सेंटर्स (CDC)
- रीहैबिलिटेशन सेंटर्स (RC)
CDC केंद्रों को डिटॉक्सीफिकेशन और दीर्घकालिक पुनर्वास सेवाएं प्रदान करने की अनुमति है, जबकि RC केंद्रों में केवल डिटॉक्स के बाद की मानसिक और सामाजिक सहायता (जैसे काउंसलिंग, बिहेवियरल थेरेपी) दी जाती है।
सेवा प्रोटोकॉल और कार्यात्मक भूमिका
CDC केंद्रों में आवासीय चिकित्सा सेवाएं, डिटॉक्स प्रक्रिया और चिकित्सीय देखभाल प्रदान की जाती हैं। इसके विपरीत, RC केंद्रों का उद्देश्य केवल गैर–चिकित्सीय सहायता, जैसे कि परामर्श और व्यवहारिक चिकित्सा देना है। यह स्पष्ट वर्गीकरण सुनिश्चित करता है कि रोगियों को उनके पुनर्वास के चरण के अनुसार उपयुक्त देखभाल मिले।
अनिवार्य पंजीकरण की आवश्यकता
इन वर्गों के अंतर्गत आने वाले सभी नशामुक्ति केंद्रों को तमिलनाडु राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण के साथ पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। इससे कानूनी निगरानी, गुणवत्ता नियंत्रण और जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी। यह कदम राज्य में सबल बनते पुनर्वास नेटवर्क को पारदर्शिता और प्रभावशीलता प्रदान करेगा।
STATIC GK SNAPSHOT
विषय | विवरण |
विनियम का नाम | तमिलनाडु मानसिक स्वास्थ्य न्यूनतम मानक 2025 |
कानूनी आधार | मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 |
केंद्र की श्रेणियाँ | कम्प्रिहेन्सिव डि-एडिक्शन सेंटर्स (CDC), रिहैबिलिटेशन सेंटर्स (RC) |
CDC की भूमिका | डिटॉक्सीफिकेशन और पुनर्वास |
RC की भूमिका | डिटॉक्स के बाद मनोसामाजिक हस्तक्षेप |
पंजीकरण प्राधिकरण | राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण |
लक्षित समूह | नशे की लत से पीड़ित व्यक्ति |
राज्य | तमिलनाडु |
अधिसूचना वर्ष | 2025 |