प्रजातियों की सुरक्षा के लिए नया प्रबंधन
तमिलनाडु ने 2025 में लुप्तप्राय वन्य प्रजातियों की रक्षा के लिए अपनी रणनीति को नया रूप दिया है। 2024 में शुरू किया गया ₹50 करोड़ का संरक्षण कोष, पहले राज्य वन विकास एजेंसी (SFDA) के अंतर्गत था, परंतु संचालन में चुनौतियों के चलते इसकी जिम्मेदारी अब नए विशेषज्ञ निकाय को सौंपी गई है।
मुद्दे के समाधान हेतु मुदुमलई टाइगर रिजर्व फाउंडेशन को भी कुछ समय के लिए जिम्मा सौंपा गया था। इस दौरान कोष को तमिलनाडु पॉवर फाइनेंस कॉर्पोरेशन और ट्रांसपोर्ट डेवलपमेंट फाइनेंस कॉर्पोरेशन में सुरक्षित रखा गया।
AIWC को सौंपी गई ज़िम्मेदारी
2025 में यह कोष अब Advanced Institute of Wildlife Conservation (AIWC), वंदलूर को सौंपा गया है। यह संस्थान वन्य जीव अध्ययन और प्रशिक्षण के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित नाम बन चुका है। अब एक पंजीकृत संस्था के रूप में, यह सरकारी परियोजनाओं और कोष का संचालन करने के लिए अधिकृत है।
AIWC के तहत अब अध्ययन प्रस्तावों को आमंत्रित किया जाएगा, खासतौर पर उन लुप्तप्राय प्रजातियों पर जो आमतौर पर उपेक्षित रह जाती हैं।
तमिलनाडु की दुर्लभ प्रजातियों पर फोकस
इस कोष से जिन प्रजातियों को विशेष रूप से लाभ मिलने की संभावना है, उनमें शामिल हैं –
मालाबार सिवेट, व्हाइट-रम्पड वल्चर (IUCN की रेड लिस्ट में क्रिटिकली एंडेंजर्ड), नीलगिरी वार्ट फ्रॉग, व्हाइट-स्पॉटेड बुश फ्रॉग, अनामलाई फ्लाइंग फ्रॉग, और सलिम अली का फ्रूट बैट।
ये प्रजातियाँ या तो संकटग्रस्त हैं या पर्यावरणीय दबावों की वजह से विलुप्त होने के कगार पर हैं।
Static GK टिप: मुदुमलई टाइगर रिजर्व की स्थापना 1940 में हुई थी और यह दक्षिण भारत के सबसे पुराने वन्यजीव अभयारण्यों में से एक है। व्हाइट-रम्पड वल्चर को IUCN रेड लिस्ट में क्रिटिकली एंडेंजर्ड श्रेणी में रखा गया है।
संरक्षण कार्यों में विशेषज्ञता का महत्व
AIWC को जिम्मेदारी सौंपने का निर्णय यह सुनिश्चित करता है कि कोष का सही उपयोग हो और वह जमीनी स्तर पर उन प्रजातियों तक पहुँचे जिनकी तत्काल सुरक्षा ज़रूरी है। यह तमिलनाडु के वन विभाग का एक अनुसंधान-प्रेरित और व्यावहारिक दृष्टिकोण है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
कोष का नाम | तमिलनाडु लुप्तप्राय प्रजाति संरक्षण कोष |
कुल राशि | ₹50 करोड़ |
घोषणा वर्ष | 2024 |
प्रारंभिक प्रबंधन संस्था | राज्य वन विकास एजेंसी (SFDA) |
अस्थायी संरक्षक | TN पावर और परिवहन विकास वित्त निगम |
वर्तमान प्रबंधन संस्था | AIWC (Advanced Institute of Wildlife Conservation), वंदलूर |
संस्था का प्रकार | वन्यजीव अनुसंधान व प्रशिक्षण संस्थान (पंजीकृत सोसाइटी) |
फोकस प्रजातियाँ | सलिम अली का फ्रूट बैट, मालाबार सिवेट, व्हाइट-रम्पड वल्चर, नीलगिरी वार्ट फ्रॉग, व्हाइट-स्पॉटेड बुश फ्रॉग, अनामलाई फ्लाइंग फ्रॉग |
पूर्व योजना | मुदुमलई टाइगर रिजर्व फाउंडेशन को प्रबंधन प्रस्तावित |
स्थान विशेषता | AIWC चेन्नई के पास वंदलूर में स्थित है |