महिलाओं की सुरक्षा के लिए ऐतिहासिक कानूनी सुधार
जनवरी 2025 में, तमिलनाडु सरकार ने महिलाओं के लिए सार्वजनिक और डिजिटल स्थानों को अधिक सुरक्षित बनाने हेतु राष्ट्रीय आपराधिक कानूनों में राज्य–विशिष्ट संशोधन पेश किए। मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने विधानसभा में इस कदम का नेतृत्व किया, जिससे यह स्पष्ट संकेत गया कि राज्य में लैंगिक अपराधों पर अब और सख्त दंड लागू होंगे।
ये संशोधन एक प्रगतिशील कानूनी सोच को दर्शाते हैं — जो डिजिटल उत्पीड़न जैसे आधुनिक अपराधों को ध्यान में रखते हुए पीड़ितों को त्वरित सुरक्षा देने की मांग करते हैं।
कठोर सजा और स्पष्ट परिभाषाएँ
भारतीय न्याय संहिता (BNS) और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) — जो IPC और CrPC के आधुनिक संस्करण हैं — के तहत तमिलनाडु सरकार ने अधिक प्रभावी कानूनी प्रावधानों को लागू किया है।
प्रमुख संशोधन इस प्रकार हैं:
• बलात्कार की सजा: न्यूनतम सजा अब 14 वर्ष, और यदि पीड़िता एक ही हो तो 20 वर्ष
• आजीवन कारावास: अब “प्राकृतिक जीवनकाल” तक माना जाएगा — रिहाई का रास्ता बंद
• पीछा करना (Stalking): पहली बार पर अधिकतम 5 वर्ष, पुनरावृत्ति पर 7 वर्ष
• एसिड अटैक: न्यूनतम सजा आजीवन कारावास
• डिजिटल उत्पीड़न: ऑनलाइन धमकी या अपशब्द भेजने पर 5 साल की जेल + ₹1 लाख जुर्माना
ये प्रावधान साइबर अपराध, पीछा करना, और दोहराए गए यौन अपराधों को गंभीर अपराध के रूप में मान्यता देते हैं।
अब सार्वजनिक संस्थानों पर भी कानूनी ज़िम्मेदारी
अस्पतालों, मॉल, कॉलेज, बस अड्डों व अन्य सार्वजनिक स्थलों को अब अनिवार्य रूप से:
- CCTV कैमरे लगाना होगा
• एंटी–हरासमेंट नीति लागू करनी होगी
• नियमित सुरक्षा ऑडिट कराना अनिवार्य
इन प्रावधानों का उल्लंघन करने पर कड़ी सजा दी जाएगी — जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि सुरक्षा ढांचा अब कानून का हिस्सा है, न कि केवल सलाह।
“सुरक्षा आदेश”: पीड़िताओं को कानूनी कवच
तमिलनाडु ने “सुरक्षा आदेश” (Protection Orders) की व्यवस्था शुरू की है, जिसके अंतर्गत आरोपी को पीड़िता से संपर्क करने या पास आने पर प्रतिबंध रहेगा।
- ये आदेश न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा जारी किए जाएंगे
• तत्काल सुरक्षा कवच के रूप में काम करेंगे
• उल्लंघन की स्थिति में जेल और जुर्माना लगाया जाएगा
यह व्यवस्था महिलाओं को विशेषकर कानूनी कार्यवाही के संवेदनशील चरणों में तत्काल कानूनी संरक्षण प्रदान करती है।
स्थैतिक जीके स्नैपशॉट – परीक्षा हेतु
विषय | विवरण |
संशोधित कानून | BNS (भारतीय न्याय संहिता), BNSS |
किसे प्रतिस्थापित किया | IPC और CrPC |
बलात्कार की न्यूनतम सजा | 14 वर्ष (दोहराव पर 20 वर्ष) |
आजीवन कारावास | अब “प्राकृतिक जीवनकाल” माना जाएगा |
पीछा करने पर सजा | 5 वर्ष (पहली बार), 7 वर्ष (दोहराव) |
एसिड अटैक की सजा | न्यूनतम: आजीवन कारावास |
डिजिटल उत्पीड़न | 5 वर्ष तक जेल + ₹1 लाख जुर्माना |
सार्वजनिक सुरक्षा नियम | अनिवार्य CCTV, ऑडिट, उत्पीड़न नीति |
सुरक्षा आदेश | मजिस्ट्रेट द्वारा जारी, संपर्क/निकटता पर रोक |
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री (2025) | एम.के. स्टालिन |