जुलाई 20, 2025 6:12 अपराह्न

तमिलनाडु ने जनम भूमि पर पुनः कब्जे और विकास कार्यों के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया

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Tamil Nadu Pushes to Reclaim Janmam Lands and Resume Development Work

जनम भूमि पर विकास कार्यों को बहाल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका

तमिलनाडु सरकार ने नीलगिरी जिले के गुडालूर क्षेत्र में स्थित जनम भूमि पर विकास कार्य फिर से शुरू करने की अनुमति के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। ये भूमि तमिलनाडु गुडालूर जनम एस्टेट (उन्मूलन और रैयतवारी में रूपांतरण) अधिनियम, 1969 से जुड़े कानूनी विवादों के चलते वर्षों से लंबित है। इस भूमि पर वर्षों से बसे समुदायों को अब तक सड़क, पानी, स्वच्छता जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं मिली हैं।

राज्य सरकार की याचिका में विकास कार्यों पर रोक लगाने वाले स्थगन आदेश को हटाने की मांग की गई है, ताकि 34,986 एकड़ की जनम भूमि पर सरकार का पुनः नियंत्रण स्थापित कर आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकें।

मुख्यमंत्री स्टालिन की प्रतिबद्धता: वर्षों से बसे लोगों को अधिकार मिले

मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने चेन्नई सचिवालय में आयोजित उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे जनम भूमि को पुनः प्राप्त करने और सेक्शन 17 भूमि पर रहने वाले परिवारों के जीवन स्तर को सुधारने की प्रक्रिया तेज करें। सेक्शन 17 श्रेणी उन भूमि को दर्शाता है जो 1979 के संशोधित रैयतवारी अधिनियम के अंतर्गत आती हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन परिवारों ने पीढ़ियों से इन भूमि पर जीवन व्यतीत किया है, उन्हें बिजली, स्कूल, सड़क, और स्वच्छ जल जैसी आवश्यक सुविधाएं शीघ्र मिलनी चाहिए। उन्होंने जोर दिया कि कानूनी प्रक्रिया में देरी उन लोगों की जीवन गुणवत्ता को बाधित नहीं करनी चाहिए।

त्वरित समाधान हेतु कानूनी रणनीति

सरकार केवल स्थगन हटाने की मांग ही नहीं कर रही है, बल्कि यह भी अनुरोध करेगी कि 1969 जनम भूमि अधिनियम से संबंधित मामलों को अन्य भूमि विवादों से अलग सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए। इससे फैसले की प्रक्रिया तेज होगी और लाभार्थियों तक योजनाओं को शीघ्र लागू किया जा सकेगा।

इसके लिए राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में एक इंटरलोक्यूटरी आवेदन (IA) दायर करेगी, जिससे कानूनी अनुपालन के साथ मानवीय प्राथमिकता भी सुनिश्चित की जा सके।

प्रशासनिक बैठक और नीतिगत मंथन

बैठक में उच्च शिक्षा मंत्री के. पोनमूडी, मुख्य सचिव एन. मुरुगनंदम, तथा विधिक और प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहे। चर्चा का केंद्र रहा कि कैसे जनम भूमि पर दोबारा स्वामित्व बहाल किया जाए, अवैध अतिक्रमण से बचा जाए, और कानूनी स्वीकृति मिलते ही आधारभूत विकास कार्य प्रारंभ किए जाएं।

यह नीति परिवर्तन सरकार की उस दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जो ऐतिहासिक भूमि अन्यायों को सुधारने और गुडालूर जैसे आदिवासी क्षेत्रों में सामाजिक न्याय और विकास लाने की दिशा में केंद्रित है।

स्टैटिक GK स्नैपशॉट: तमिलनाडु में जनम भूमि विवाद

तथ्य विवरण
जनम भूमि का स्थान गुडालूर, नीलगिरी जिला, तमिलनाडु
प्रमुख कानून तमिलनाडु गुडालूर जनम एस्टेट अधिनियम, 1969
सरकारी पुनः दावा क्षेत्रफल 34,986 एकड़
सेक्शन 17 भूमि 1979 संशोधन के अंतर्गत अधिसूचित; बसी हुई पर सेवा से वंचित
मुख्यमंत्री की भूमिका एम.के. स्टालिन ने पुनः कब्जा और विकास के निर्देश दिए
कानूनी कदम सुप्रीम कोर्ट में IA दाखिल कर स्थगन हटाने और अलग सुनवाई की मांग
Tamil Nadu Pushes to Reclaim Janmam Lands and Resume Development Work
  1. तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से जनम भूमि पर विकास कार्य फिर से शुरू करने की अनुमति मांगी है।
  2. ये भूमि नीलगिरी जिले के गुडलूर क्षेत्र में स्थित हैं और इनका क्षेत्रफल 34,986 एकड़ है।
  3. यह कानूनी विवाद तमिलनाडु गुडलूर जनम एस्टेट (उन्मूलन और रूपांतरण) अधिनियम, 1969 से संबंधित है।
  4. सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर पर लगी रोक हटाने के लिए स्थगन आदेश रद्द करने की मांग की है।
  5. मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की ताकि भूमि पुनर्प्राप्ति और विकास में तेजी लाई जा सके।
  6. 1979 के रैयतवारी अधिनियम संशोधन के तहत जोड़ी गई सेक्शन 17 की भूमि में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है।
  7. मुख्यमंत्री ने सड़कों, बिजली, स्कूल और स्वच्छ पानी जैसी आवश्यक सुविधाएं तुरंत उपलब्ध कराने पर जोर दिया।
  8. सरकार एक अंतरिम आवेदन (Interlocutory Application) दाखिल करेगी जिससे कानूनी प्रक्रिया में तेजी लाई जा सके।
  9. जनम भूमि से जुड़े मामलों की अलग सुनवाई कराने की भी राज्य सरकार की योजना है।
  10. इन जमीनों में से कई पर जनजातीय और वंचित समुदायों का निवास है।
  11. सरकार का उद्देश्य समाप्त हो चुके पट्टों पर पुनः नियंत्रण प्राप्त करना और अवैध कब्जों को रोकना है।
  12. जनम एस्टेट से जुड़े मुकदमों के कारण सभी अधोसंरचना परियोजनाएं रुकी हुई हैं।
  13. यह मुद्दा कानूनी प्रक्रिया और मानवीय ज़रूरतों के बीच के तनाव को उजागर करता है।
  14. सरकार इसे पहाड़ी क्षेत्रों में ऐतिहासिक भूमि अन्याय को सुधारने का प्रयास मानती है।
  15. बैठक में मंत्री के. पोनमुडी और मुख्य सचिव एन. मुरुगनंदम भी शामिल हुए।
  16. जनम भूमि का मुद्दा भूमि सुधार और तमिलनाडु में जनजातीय कल्याण से जुड़ा है।
  17. भूमि पुनः प्राप्ति से कल्याणकारी योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने में मदद मिलेगी।
  18. अदालती प्रतिबंधों के कारण सार्वजनिक सेवाएं नहीं पहुंच पाईं
  19. यह मामला संवैधानिक कानून और सामाजिक न्याय के बीच संतुलन को दर्शाता है।
  20. 2025 की कार्य योजना तमिलनाडु की समावेशी और समान विकास के प्रति प्रतिबद्धता को फिर से पुष्ट करती है।

Q1. तमिलनाडु जिन जन्म भूमि को पुनः प्राप्त करने का प्रयास कर रहा है, वे किस जिले में स्थित हैं?


Q2. तमिलनाडु में जन्म भूमि से संबंधित कानूनी ढांचे को कौन-सा अधिनियम नियंत्रित करता है?


Q3. तमिलनाडु सरकार जन्म पट्टों की समाप्ति के बाद कितनी भूमि पुनः प्राप्त करने की योजना बना रही है?


Q4. जन्म भूमि पुनः प्राप्ति और विकास में तेजी लाने के लिए उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता किसने की?


Q5. जन्म भूमि विकास को तेज करने के लिए तमिलनाडु सरकार ने कौन-सी कानूनी पहल सुझाई है?


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