तमिलनाडु पुरातत्व विभाग की पहल: नागपट्टिनम में बौद्ध विरासत की खुदाई
तमिलनाडु के पुरातत्व विभाग ने एक नई खुदाई परियोजना शुरू की है, जिसका उद्देश्य नागपट्टिनम में स्थित चूड़ामणि विहार के अवशेषों को खोजना है। यह तटीय शहर कभी प्राचीन समुद्री व्यापार और धार्मिक आदान–प्रदान का केंद्र रहा है। खुदाई के ज़रिए क्षेत्र की बौद्ध विरासत और सांस्कृतिक योगदान को उजागर करने की उम्मीद है।
चूड़ामणि विहार की उत्पत्ति: चोल और श्रीविजय शासकों का सहयोग
ऐतिहासिक दस्तावेज़ और शिलालेख बताते हैं कि चोल राजवंश ने श्रीविजय साम्राज्य के एक शासक के साथ मिलकर इस प्रमुख बौद्ध मठ की स्थापना की थी। यह स्थल धार्मिक शिक्षा और राजनयिक संबंधों का केंद्र था, जहाँ एशिया के विभिन्न हिस्सों से भिक्षु और विद्वान आया करते थे। इसकी पुनर्खोज से तमिलनाडु की आध्यात्मिक और समुद्री विरासत समृद्ध होगी।
भूमि से समुद्र तक: पूमपुहार और नागपट्टिनम के बीच सांस्कृतिक कड़ी
यह सर्वेक्षण, पूमपुहार के पास हो रही अन्य जल–आधारित खुदाइयों से जुड़ा है, जहाँ चोल साम्राज्य की प्राचीन बंदरगाह राजधानी थी। नागपट्टिनम से पूमपुहार के बीच की प्रस्तावित समुद्री खोज के माध्यम से उन व्यापारिक और बौद्ध तीर्थ यात्राओं के मार्गों के प्रमाण मिलने की आशा है, जो कभी भारत और दक्षिण–पूर्व एशिया को जोड़ते थे।
बौद्ध धरोहर जागरूकता और पर्यटन को बढ़ावा
यह पहल केवल प्राचीन अवशेषों की खुदाई तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देना और तमिलनाडु की बौद्ध परंपरा के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाना भी है। इतिहास और समुद्री पुरातत्व के विशेषज्ञों की देखरेख में चल रही यह परियोजना, राज्य को वैश्विक बौद्ध धरोहर मानचित्र पर स्थापित कर सकती है और साथ ही तटीय संरक्षण परियोजनाओं को भी प्रोत्साहन दे सकती है।
STATIC GK SNAPSHOT
विषय | विवरण |
स्थान | नागपट्टिनम, तमिलनाडु |
लक्षित स्थल | चूड़ामणि विहार (प्राचीन बौद्ध मठ) |
ऐतिहासिक युग | राजराजा चोल I (985–1014 ई.) |
संबंधित बंदरगाह नगर | पूमपुहार / कावेरीपूमपट्टिनम |
सर्वेक्षण प्रकार | स्थल-आधारित और जल-आधारित खुदाई |
नोडल एजेंसी | तमिलनाडु राज्य पुरातत्व विभाग |
परियोजना का महत्व | समुद्री बौद्ध धर्म की पुनर्प्रतिष्ठा, विरासत पर्यटन, सांस्कृतिक मानचित्रण |