प्रारंभिक जीवन और शैक्षिक पृष्ठभूमि
डॉ. एम. आर. श्रीनिवासन का जन्म 5 जनवरी 1930 को बैंगलोर (मैसूर राज्य) में हुआ था। वे बचपन से ही विज्ञान और भाषाओं में रुचि रखते थे। उन्होंने अपना इंजीनियरिंग स्नातक यूवीसीई कॉलेज से किया, जिसे एम. विश्वेश्वरैया ने स्थापित किया था। बाद में उन्होंने मैकगिल विश्वविद्यालय (कनाडा) से गैस टरबाइन तकनीक में पीएच.डी. की डिग्री प्राप्त की। उनकी शिक्षा ने भारत के ऊर्जा भविष्य को आकार देने में नींव का कार्य किया।
परमाणु ऊर्जा विकास में भूमिका
डॉ. श्रीनिवासन ने 1955 में परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) से जुड़कर अपने करियर की शुरुआत की, जब भारत अपने परमाणु कार्यक्रम की नींव रख रहा था। उन्होंने डॉ. होमी भाभा के मार्गदर्शन में अप्सरा रिएक्टर (भारत का पहला परमाणु रिएक्टर) के निर्माण में योगदान दिया। वे बाद में मद्रास परमाणु विद्युत स्टेशन जैसी परियोजनाओं का नेतृत्व कर भारत की स्वदेशी परमाणु क्षमता को सिद्ध करने वाले अग्रणी बने। वे 1987 में परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष बने और उसी वर्ष उन्होंने एनपीसीआईएल (NPCIL) की स्थापना भी की।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय योगदान
डॉ. श्रीनिवासन ने भारत की ऊर्जा नीति को रणनीतिक दिशा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1990 से 1992 के बीच वे IAEA (वियना) के सलाहकार रहे। बाद में वे 1996 से 1998 तक भारत के योजना आयोग में रहे और राष्ट्रीय विज्ञान और ऊर्जा नीति को निर्देशित किया। वे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड (2002–04 और 2006–08) के सदस्य भी रहे, जो उनकी वैज्ञानिक के साथ-साथ रणनीतिक महत्ता को दर्शाता है। उनके नेतृत्व में सात परमाणु ऊर्जा इकाइयाँ संचालित की गईं और ग्यारह अन्य की योजना बनाई गई।
पुरस्कार और सम्मान
भारत सरकार ने डॉ. श्रीनिवासन को पद्म श्री (1984), पद्म भूषण (1990) और पद्म विभूषण (2015) से सम्मानित किया। वे WANO (वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ न्यूक्लियर ऑपरेटर्स) के संस्थापक सदस्य थे और उन्हें भारतीय राष्ट्रीय अभियांत्रिकी अकादमी तथा भारतीय परमाणु सोसायटी की फैलोशिप भी प्राप्त थी। उनके यह सम्मान उनकी तकनीकी प्रतिबद्धता और राष्ट्र निर्माण में योगदान को दर्शाते हैं।
एक प्रेरणादायक विरासत
20 मई 2025 को उधगमंडलम, तमिलनाडु में 95 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। डॉ. एम. आर. श्रीनिवासन ने भारत को परमाणु ऊर्जा में आत्मनिर्भर बनाने में केंद्रीय भूमिका निभाई। उन्होंने भविष्य की वैज्ञानिक पीढ़ियों को मार्गदर्शन भी दिया, जिससे नवाचार की निरंतरता बनी रही। उनका जीवन और कार्य भारत की ऊर्जा क्रांति का स्तंभ माना जाएगा।
Static GK Snapshot (हिंदी में)
श्रेणी | विवरण |
पूरा नाम | डॉ. एम. आर. श्रीनिवासन |
जन्म | 5 जनवरी 1930, बैंगलोर (मैसूर राज्य) |
निधन | 20 मई 2025, उधगमंडलम, तमिलनाडु |
प्रमुख पद | परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष |
संस्थापक | न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NPCIL) |
प्रारंभिक उपलब्धि | भारत का पहला रिएक्टर ‘अप्सरा’ के निर्माण में योगदान |
पद्म पुरस्कार | पद्म श्री (1984), पद्म भूषण (1990), पद्म विभूषण (2015) |
शैक्षिक पृष्ठभूमि | यूवीसीई (इंजीनियरिंग), मैकगिल विश्वविद्यालय (PhD) |
अंतरराष्ट्रीय भूमिका | IAEA सलाहकार (1990–92) |
विरासत | भारत की परमाणु ऊर्जा नीति के प्रमुख वास्तुकार |