जुलाई 18, 2025 2:23 अपराह्न

डॉ. एम. आर. श्रीनिवासन: भारत की परमाणु ऊर्जा क्रांति के शिल्पकार

करेंट अफेयर्स: डॉ. एम. आर. श्रीनिवासन मृत्यु 2025, भारतीय परमाणु ऊर्जा अग्रदूत, परमाणु ऊर्जा आयोग भारत, एनपीसीआईएल संस्थापक, भारत परमाणु ऊर्जा इतिहास, पद्म पुरस्कार वैज्ञानिक, इसरो डीएई इतिहास

Dr. M. R. Srinivasan: The Architect of India’s Nuclear Energy Revolution

प्रारंभिक जीवन और शैक्षिक पृष्ठभूमि

डॉ. एम. आर. श्रीनिवासन का जन्म 5 जनवरी 1930 को बैंगलोर (मैसूर राज्य) में हुआ था। वे बचपन से ही विज्ञान और भाषाओं में रुचि रखते थे। उन्होंने अपना इंजीनियरिंग स्नातक यूवीसीई कॉलेज से किया, जिसे एम. विश्वेश्वरैया ने स्थापित किया था। बाद में उन्होंने मैकगिल विश्वविद्यालय (कनाडा) से गैस टरबाइन तकनीक में पीएच.डी. की डिग्री प्राप्त की। उनकी शिक्षा ने भारत के ऊर्जा भविष्य को आकार देने में नींव का कार्य किया।

परमाणु ऊर्जा विकास में भूमिका

डॉ. श्रीनिवासन ने 1955 में परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) से जुड़कर अपने करियर की शुरुआत की, जब भारत अपने परमाणु कार्यक्रम की नींव रख रहा था। उन्होंने डॉ. होमी भाभा के मार्गदर्शन में अप्सरा रिएक्टर (भारत का पहला परमाणु रिएक्टर) के निर्माण में योगदान दिया। वे बाद में मद्रास परमाणु विद्युत स्टेशन जैसी परियोजनाओं का नेतृत्व कर भारत की स्वदेशी परमाणु क्षमता को सिद्ध करने वाले अग्रणी बने। वे 1987 में परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष बने और उसी वर्ष उन्होंने एनपीसीआईएल (NPCIL) की स्थापना भी की।

राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय योगदान

डॉ. श्रीनिवासन ने भारत की ऊर्जा नीति को रणनीतिक दिशा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1990 से 1992 के बीच वे IAEA (वियना) के सलाहकार रहे। बाद में वे 1996 से 1998 तक भारत के योजना आयोग में रहे और राष्ट्रीय विज्ञान और ऊर्जा नीति को निर्देशित किया। वे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड (2002–04 और 2006–08) के सदस्य भी रहे, जो उनकी वैज्ञानिक के साथ-साथ रणनीतिक महत्ता को दर्शाता है। उनके नेतृत्व में सात परमाणु ऊर्जा इकाइयाँ संचालित की गईं और ग्यारह अन्य की योजना बनाई गई।

पुरस्कार और सम्मान

भारत सरकार ने डॉ. श्रीनिवासन को पद्म श्री (1984), पद्म भूषण (1990) और पद्म विभूषण (2015) से सम्मानित किया। वे WANO (वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ न्यूक्लियर ऑपरेटर्स) के संस्थापक सदस्य थे और उन्हें भारतीय राष्ट्रीय अभियांत्रिकी अकादमी तथा भारतीय परमाणु सोसायटी की फैलोशिप भी प्राप्त थी। उनके यह सम्मान उनकी तकनीकी प्रतिबद्धता और राष्ट्र निर्माण में योगदान को दर्शाते हैं।

एक प्रेरणादायक विरासत

20 मई 2025 को उधगमंडलम, तमिलनाडु में 95 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। डॉ. एम. आर. श्रीनिवासन ने भारत को परमाणु ऊर्जा में आत्मनिर्भर बनाने में केंद्रीय भूमिका निभाई। उन्होंने भविष्य की वैज्ञानिक पीढ़ियों को मार्गदर्शन भी दिया, जिससे नवाचार की निरंतरता बनी रही। उनका जीवन और कार्य भारत की ऊर्जा क्रांति का स्तंभ माना जाएगा।

Static GK Snapshot (हिंदी में)

श्रेणी विवरण
पूरा नाम डॉ. एम. आर. श्रीनिवासन
जन्म 5 जनवरी 1930, बैंगलोर (मैसूर राज्य)
निधन 20 मई 2025, उधगमंडलम, तमिलनाडु
प्रमुख पद परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष
संस्थापक न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NPCIL)
प्रारंभिक उपलब्धि भारत का पहला रिएक्टर ‘अप्सरा’ के निर्माण में योगदान
पद्म पुरस्कार पद्म श्री (1984), पद्म भूषण (1990), पद्म विभूषण (2015)
शैक्षिक पृष्ठभूमि यूवीसीई (इंजीनियरिंग), मैकगिल विश्वविद्यालय (PhD)
अंतरराष्ट्रीय भूमिका IAEA सलाहकार (1990–92)
विरासत भारत की परमाणु ऊर्जा नीति के प्रमुख वास्तुकार
Dr. M. R. Srinivasan: The Architect of India’s Nuclear Energy Revolution
  1. डॉ. एम. आर. श्रीनिवासन का जन्म 5 जनवरी 1930 को बैंगलोर में हुआ था, जो उस समय मैसूर राज्य का हिस्सा था।
  2. 20 मई 2025 को तमिलनाडु के उधगमंडलम में 95 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।
  3. श्रीनिवासन ने एम. विश्वेश्वरैया द्वारा स्थापित कॉलेज यूवीसीई से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की।
  4. उन्होंने कनाडा के मैकगिल विश्वविद्यालय में गैस टरबाइन प्रौद्योगिकी में पीएचडी पूरी की।
  5. डॉ. श्रीनिवासन 1955 में परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) में शामिल हुए।
  6. उन्होंने डॉ. होमी भाभा के अधीन काम किया और भारत के पहले परमाणु रिएक्टर अप्सरा के निर्माण में मदद की।
  7. उन्होंने मद्रास परमाणु ऊर्जा स्टेशन परियोजना का नेतृत्व किया, जिसने भारत की स्वतंत्र परमाणु क्षमताओं को प्रदर्शित किया।
  8. 1987 में, वे भारत के परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष बने।
  9. वे 1987 में एनपीसीआईएल (भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड) के संस्थापक अध्यक्ष भी बने।
  10. 1990 और 1992 के बीच, उन्होंने वियना में अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के सलाहकार के रूप में कार्य किया।
  11. वे 1996-1998 के बीच योजना आयोग के सदस्य थे, जिन्होंने भारत की ऊर्जा नीति को आकार दिया।
  12. वे 2002-2004 और फिर 2006-2008 तक भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड में कार्यरत रहे।
  13. उनके नेतृत्व में, भारत ने सात परमाणु इकाइयों का संचालन शुरू किया और ग्यारह और की योजना बनाई।
  14. वे WANO (वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ़ न्यूक्लियर ऑपरेटर्स) के संस्थापक सदस्य थे।
  15. डॉ. श्रीनिवासन को 1984 में पद्म श्री, 1990 में पद्म भूषण और 2015 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
  16. वे भारतीय राष्ट्रीय इंजीनियरिंग अकादमी और भारतीय परमाणु सोसायटी दोनों के फेलो थे।
  17. उनका करियर परमाणु ऊर्जा विकास में भारत की आत्मनिर्भर प्रगति को दर्शाता है।
  18. उन्होंने भारत में परमाणु वैज्ञानिकों की अगली पीढ़ी को मार्गदर्शन देने में प्रमुख भूमिका निभाई।
  19. उनका योगदान विज्ञान, रणनीति और राष्ट्रीय ऊर्जा नियोजन में फैला हुआ है।
  20. डॉ. श्रीनिवासन के काम को भारत की परमाणु ऊर्जा क्रांति का आधार माना जाता है।

Q1. डॉ. एम. आर. श्रीनिवासन का निधन किस वर्ष हुआ था?


Q2. 1955 में भारत के परमाणु ढांचे में डॉ. श्रीनिवासन का महत्वपूर्ण योगदान क्या था?


Q3. डॉ. श्रीनिवासन किस प्रमुख परमाणु संगठन के संस्थापक अध्यक्ष थे?


Q4. डॉ. श्रीनिवासन को 2015 में कौन-सा प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त हुआ था?


Q5. डॉ. श्रीनिवासन ने वियना में IAEA के सलाहकार के रूप में किस वर्ष के दौरान सेवा दी थी?


Your Score: 0

Daily Current Affairs May 20

Descriptive CA PDF

One-Liner CA PDF

MCQ CA PDF​

CA PDF Tamil

Descriptive CA PDF Tamil

One-Liner CA PDF Tamil

MCQ CA PDF Tamil

CA PDF Hindi

Descriptive CA PDF Hindi

One-Liner CA PDF Hindi

MCQ CA PDF Hindi

दिन की खबरें

Premium

National Tribal Health Conclave 2025: Advancing Inclusive Healthcare for Tribal India
New Client Special Offer

20% Off

Aenean leo ligulaconsequat vitae, eleifend acer neque sed ipsum. Nam quam nunc, blandit vel, tempus.