जुलाई 18, 2025 8:44 पूर्वाह्न

डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई: भारत की वर्षा आधारित खेती में एक शांत क्रांति

चालू घटनाक्रम प्रमुख शब्द: डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई 2025, जलग्रहण विकास भारत, वर्षा आधारित कृषि योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, ग्रामीण विकास मंत्रालय, डोलर जलग्रहण परियोजनाएँ, मृदा एवं जल संरक्षण, जलवायु सहनशील कृषि, स्थैतिक जीके

WDC-PMKSY: A Silent Revolution in India’s Rainfed Farming

सूखी धरती को संजीवनी: एक गाँव एक प्रयास

भारत के ऐसे गाँव, जहाँ वर्षा ही एकमात्र जल स्रोत है, वहाँ खेती करना एक जुआ जैसा लगता है। अनियमित मानसून, क्षयग्रस्त मिट्टी और पानी की कमी ने किसानों के लिए आजीविका को कठिन बना दिया है।

लेकिन अब एक शांति से चल रही क्रांति इस स्थिति को बदल रही है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के जलग्रहण विकास घटक (WDC-PMKSY) के ज़रिए ये बंजर ज़मीनें अब हरियाली में बदल रही हैं

यह योजना ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही है, और इसका उद्देश्य भारत के उपेक्षित सूखे इलाकों में भूमि और जल की स्थिति को सुधारना है। यह किसानों को वर्षा जल संग्रह, कटाव रोकने और उर्वरता बहाल करने में मदद करती है—जिससे खेती फिर से लाभकारी बन रही है।

 

योजना क्या करती है?

WDC-PMKSY केवल जल परियोजना नहीं, बल्कि सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लिए एक पूर्ण सहयोग प्रणाली है। इसमें निम्नलिखित कार्य शामिल हैं:

  • चेक डैम, फार्म तालाब, रिज ट्रीटमेंट (मिट्टी कटाव रोकना), और वर्षा जल संग्रहण प्रणाली
  • वृक्षारोपण, चारा विकास, और गरीब परिवारों के लिए आजिविका समर्थन

उदाहरण के लिए, राजस्थान के एक गाँव में एक छोटा चेक डैम बनते ही भूजल स्तर में वृद्धि देखी गई और अब वहाँ फसलें नियमित रूप से उग रही हैं

2025 में क्या नया है?

वर्ष 2025 में, सरकार ने ₹700 करोड़ की मंजूरी देकर 56 नई जलग्रहण परियोजनाओं को हरी झंडी दी है। ये परियोजनाएँ 10 राज्यों में 2.8 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करेंगी, जिनमें तमिलनाडु, राजस्थान और असम शामिल हैं।

हर परियोजना लगभग 5,000 हेक्टेयर क्षेत्र को लक्षित करती है, हालांकि पहाड़ी राज्यों में छोटे क्षेत्र भी अनुमत हैं।

हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों में अलग मॉडल हैं—जैसे टेरेस फार्मिंग, ढलान स्थिरीकरण और वर्षा जल भंडारण, जो पहाड़ी भूभाग के लिए उपयुक्त हैं।

क्यों है यह योजना भारत के भविष्य के लिए अहम?

भारत की लगभग आधी कृषि भूमि वर्षा आधारित है, जहाँ सिंचाई की कोई गारंटी नहीं है। इस कारण यह योजना न केवल किसानों की आय, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा और जलवायु लचीलापन के लिए भी महत्वपूर्ण है।

पुनर्वनीकरण (reforestation) और मृदा संरक्षण जैसी गतिविधियाँ कार्बन उत्सर्जन को घटाती हैं और गाँवों को जलवायु आपदाओं के लिए तैयार करती हैं

GIS, सैटेलाइट डेटा और स्थानीय पंचायतों के सहयोग से इस योजना की निगरानी भी सुनिश्चित की जा रही है। कर्नाटक में पुराने प्रोजेक्ट्स ने भूजल स्तर में वृद्धि और पलायन में कमी दिखाई है।

भारत ने संयुक्त राष्ट्र के लक्ष्य के अंतर्गतभूमि क्षरण तटस्थता (Land Degradation Neutrality)” का संकल्प लिया है—WDC-PMKSY इस लक्ष्य को हासिल करने में एक प्रमुख भूमिका निभा रही है।

स्थैतिक सामान्य ज्ञान (GK) स्नैपशॉट – प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु

विषय विवरण
योजना का पूरा नाम प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का जलग्रहण विकास घटक (WDC-PMKSY)
लॉन्च किया गया ग्रामीण विकास मंत्रालय (MoRD) द्वारा
कार्यान्वयन एजेंसी भूमि संसाधन विभाग (DoLR)
2025 के लिए बजट ₹700 करोड़
नई परियोजनाएँ स्वीकृत 10 राज्यों में 56 परियोजनाएँ
परियोजना क्षेत्र कवरेज 2.8 लाख हेक्टेयर
प्रमुख गतिविधियाँ मृदा संरक्षण, वर्षा जल संग्रह, चारा विकास
मुख्य उद्देश्य किसान की आय में सुधार, जलवायु सहनशीलता, भूमि क्षरण को रोकना
पहाड़ी राज्यों पर विशेष ध्यान टेरेस खेती, भूस्खलन रोकथाम, ढलान जल प्रबंधन

WDC-PMKSY: A Silent Revolution in India’s Rainfed Farming
  1. WDC-PMKSY का पूरा नाम है प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का वॉटरशेड विकास घटक
  2. इस योजना को ग्रामीण विकास मंत्रालय (MoRD) द्वारा लागू किया गया है।
  3. इसका लक्ष्य वर्षा आधारित और बंजर भूमि पर कार्य कर जल उपलब्धता और मृदा स्वास्थ्य में सुधार करना है।
  4. प्रमुख कार्यान्वयन एजेंसी है भूमि संसाधन विभाग (DoLR)
  5. 2025 में सरकार ने 56 नए परियोजनाओं के लिए ₹700 करोड़ की स्वीकृति दी।
  6. ये परियोजनाएं 10 राज्यों में कुल8 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करेंगी।
  7. प्रत्येक परियोजना औसतन 5,000 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली होगी, पहाड़ी इलाकों में विशेष संशोधन के साथ।
  8. कार्यों में शामिल हैं: पहाड़ी क्षेत्र उपचार, जल निकासी लाइन सुधार और वर्षा जल संचयन
  9. चेक डैम, फार्म तालाब, कंटूर बंडिंग जैसी संरचनाएं जल संरक्षण में सहायक हैं।
  10. योजना चारा विकास, देशी पौधों की नर्सरी और आजीविका सहायता को बढ़ावा देती है।
  11. तमिलनाडु, राजस्थान, असम, उत्तराखंड जैसे राज्य 2025 में लाभान्वित हुए हैं।
  12. उद्देश्य है: फसल उत्पादन और द्वितीयक फसलों के माध्यम से किसानों की आय में वृद्धि
  13. मृदा संरक्षण, वनीकरण और जल संचय के जरिए जलवायु लचीलापन सुनिश्चित किया जाता है।
  14. यह योजना ग्रामीण पलायन को रोकने और स्थानीय रोजगार सृजन में सहायक है।
  15. GIS, रिमोट सेंसिंग और रीयल टाइम मॉनिटरिंग से पारदर्शी क्रियान्वयन सुनिश्चित होता है।
  16. पंचायत, स्वयं सहायता समूह (SHG) और वॉटरशेड कमिटी जैसे स्थानीय निकाय महत्वपूर्ण भागीदार हैं।
  17. पहाड़ी राज्यों में विशेष ध्यान टेरेस खेती और भूस्खलन रोकथाम पर केंद्रित है।
  18. यह योजना यूएनसीसीडी के तहत भारत के भूमि क्षरण तटस्थता (LDN) लक्ष्य का समर्थन करती है।
  19. पहल सूखी बंजर भूमि को हरीभरी आयकारी ज़मीन में बदलकर खाद्य सुरक्षा को मजबूत बनाती है।
  20. भविष्य में इसमें ड्रोन मानचित्रण, AI आधारित जल पूर्वानुमान और जलवायुविशिष्ट फसल सलाह को शामिल किया जा सकता है।

Q1. WDC-PMKSY का मुख्य उद्देश्य क्या है?


Q2. 2025 में 56 नए जलसंवर्धन परियोजनाओं के लिए कितनी धनराशि स्वीकृत की गई?


Q3. निम्नलिखित में से कौन सा राज्य 2025 के लिए 56 नए WDC-PMKSY परियोजनाओं में शामिल नहीं है?


Q4. WDC-PMKSY के तहत एक प्रमुख गतिविधि क्या है?


Q5. WDC-PMKSY परियोजनाओं की ऊर्जा संग्रहण क्षमता क्या है?


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