GI पंजीकरण को बढ़ावा
वस्त्र मंत्रालय पारंपरिक हथकरघा और हस्तशिल्प उत्पादों को भौगोलिक संकेत (GI) अधिनियम 1999 के तहत पंजीकृत करवाने में सक्रिय भूमिका निभा रहा है। इससे नकली उत्पादों, दुरुपयोग और अनधिकृत बाज़ार उपयोग पर कानूनी रोक लगती है।
हथकरघा विपणन सहायता (HMA) और राष्ट्रीय हथकरघा विकास कार्यक्रम (NHDP) के तहत,
- ₹1.50 लाख GI पंजीकरण के लिए,
- ₹1.50 लाख कार्यान्वयन एजेंसियों के कर्मचारियों के प्रशिक्षण हेतु प्रदान किए जाते हैं।
Static GK: भारत में पहला GI टैग दार्जिलिंग चाय को 2004 में मिला था।
कारीगरों के लिए जागरूकता अभियान
सरकार सेमिनार, कार्यशालाएं और प्रचार अभियान आयोजित कर रही है ताकि कारीगरों को GI अधिकारों की जानकारी हो। अब तक,
- 106 हथकरघा उत्पाद,
- 227 हस्तशिल्प उत्पाद,
- 6 उत्पाद लोगो GI टैग प्राप्त कर चुके हैं।
यह भारत की सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक है।
घरेलू और वैश्विक प्रचार को बढ़ावा
Development Commissioner (Handloom/Handicrafts) द्वारा आयोजित प्रदर्शनियों और मेले जैसे “GI & Beyond: विरासत से विकास तक” कार्यक्रमों से कारीगरों को खरीदारों से सीधा संपर्क मिलता है, जिससे उनकी आय और बाज़ार पहुंच बढ़ती है।
Static GK: दिल्ली हाट, नई दिल्ली GI उत्पादों को प्रदर्शित और विक्रय करने का प्रमुख केंद्र है।
रेशम क्षेत्र में GI संरक्षण
Central Silk Board द्वारा Silk Samagra-2 योजना लागू की जा रही है, जिसका उद्देश्य राज्यों को GI टैग प्राप्त रेशम जैसे
- बनारसी रेशम,
- कांचीपुरम रेशम,
- मुगा रेशम
के उत्पादन और विपणन में मदद करना है।
Static GK: मुगा रेशम असम का पारंपरिक रेशम है, जो अपने प्राकृतिक सुनहरे रंग और मजबूती के लिए प्रसिद्ध है।
GI टैग का कानूनी संरक्षण
GI अधिनियम के तहत, पंजीकृत उपयोगकर्ताओं को विशेष अधिकार मिलते हैं। राज्य सरकारें ₹1.50 लाख या वास्तविक खर्च GI के मानकीकरण, उल्लंघन रोकथाम और कानूनी कार्यवाही के लिए देती हैं।
विरासत संरक्षण और आजीविका सुनिश्चित करना
GI टैग वाले वस्त्र सदियों पुराने शिल्प कौशल को संरक्षित रखते हैं और कारीगरों को स्थायी आय का स्रोत प्रदान करते हैं। यह मॉडल संस्कृति, अर्थव्यवस्था और वैश्विक ब्रांडिंग को एक साथ जोड़ता है।
Static Usthadian Current Affairs Table
तथ्य | विवरण |
GI अधिनियम वर्ष | 1999 |
भारत का पहला GI टैग | दार्जिलिंग चाय (2004) |
GI पंजीकृत हथकरघा उत्पाद | 106 |
GI पंजीकृत हस्तशिल्प उत्पाद | 227 |
रेशम क्षेत्र की योजना | सिल्क समग्र-2 |
GI पंजीकरण हेतु वित्तीय सहायता | ₹1.50 लाख |
जागरूकता पहल | सेमिनार, कार्यशालाएं, प्रचार अभियान |
GI टैग वाले रेशम उत्पाद | बनारसी, कांचीपुरम, मुगा |
GI प्रचार स्थल | दिल्ली हाट, नई दिल्ली |
कार्यान्वयन मंत्रालय | वस्त्र मंत्रालय, सेंट्रल सिल्क बोर्ड |