विधिक सुधार के नए युग की शुरुआत
अप्रैल 2025 में, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस दिनेश माहेश्वरी को भारत के 23वें विधि आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। यह नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब आयोग को कई महत्वपूर्ण कानूनी सुधारों को आगे बढ़ाना है। यह आयोग 1 सितंबर 2024 को गठित किया गया था और यह 31 अगस्त 2027 तक कार्य करेगा। इसका उद्देश्य भारत के विधिक ढांचे की समीक्षा, विश्लेषण और अद्यतन की सिफारिशें करना है।
विधि आयोग की संरचना
23वें विधि आयोग में सात प्रमुख सदस्य शामिल हैं:
- चार पूर्णकालिक सदस्य, जिनमें अधिवक्ता हितेश जैन और शिक्षाविद् पी. वर्मा शामिल हैं। वर्मा पूर्व आयोग में भी सदस्य थे।
- दो पदेन सदस्य, विधि कार्य विभाग और विधायी विभाग का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- आयोग में पाँच अंशकालिक सदस्यों के लिए स्थान आरक्षित है और सेवारत न्यायाधीशों को भी पूर्णकालिक सदस्य के रूप में शामिल किया जा सकता है।
इस संरचना के माध्यम से कानून, शिक्षा और नीति निर्माण का संतुलित मिश्रण तैयार होता है।
समान नागरिक संहिता (UCC) पर फिर से विचार
23वें आयोग की प्राथमिकताओं में से एक है समान नागरिक संहिता (UCC) की समीक्षा। यह संहिता सभी नागरिकों के लिए एक समान नागरिक कानून लागू करने का प्रस्ताव रखती है, जो धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों पर आधारित हो।
22वें विधि आयोग ने 2023 में UCC पर 70 से अधिक हितधारकों से सुझाव लिए थे और 749 पृष्ठों की प्रारंभिक रिपोर्ट भी तैयार की थी।
हालांकि, उस समय के अध्यक्ष जस्टिस ऋतुराज अवस्थी के लोकपाल नियुक्त होने के कारण प्रक्रिया ठप हो गई थी।
अब 23वां आयोग इस मुद्दे पर अंतिम सिफारिशें देने की दिशा में आगे बढ़ेगा।
राजनीतिक महत्व और राष्ट्रीय प्रभाव
UCC भाजपा के विधिक सुधार एजेंडा का अहम हिस्सा है, जैसे कि अनुच्छेद 370 का निष्कासन और राम मंदिर निर्माण।
उत्तराखंड ने पहला UCC विधेयक पारित कर उदाहरण प्रस्तुत किया है और गुजरात ने भी ड्राफ्टिंग कमेटी बना दी है।
भारत सरकार ने 2022 में सुप्रीम कोर्ट में यह कहा था कि व्यक्तिगत कानूनों में असमानता राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा है।
इसलिए 23वें आयोग की भूमिका राष्ट्रीय विधिक दिशा तय करने में अत्यंत महत्त्वपूर्ण हो जाती है।
कार्य संरचना और मानदेय
विधि आयोग कानून और न्याय मंत्रालय के अधीन कार्य करता है और विभिन्न कानूनी विशेषज्ञों, नागरिक समाज और जनता से संवाद करता है।
- अध्यक्ष को ₹2.5 लाख मासिक मानदेय (पेंशन सहित)
- पूर्णकालिक सदस्यों को ₹2.25 लाख मासिक मानदेय प्रदान किया जाता है।
इससे कार्य की निरंतरता और पेशेवर प्रतिबद्धता सुनिश्चित होती है।
स्थैतिक सामान्य ज्ञान झलक (STATIC GK SNAPSHOT)
विषय | विवरण |
आयोग का नाम | भारत का 23वां विधि आयोग |
अध्यक्ष (2025) | जस्टिस (सेवानिवृत्त) दिनेश माहेश्वरी |
गठन तिथि | 1 सितंबर 2024 |
कार्यकाल | 31 अगस्त 2027 तक |
मुख्य एजेंडा | समान नागरिक संहिता (UCC) |
पूर्व अध्यक्ष (22वां आयोग) | जस्टिस ऋतुराज अवस्थी |
पहला UCC विधेयक पारित राज्य | उत्तराखंड |
अध्यक्ष का मासिक मानदेय | ₹2.5 लाख (पेंशन सहित) |
सदस्य का मासिक मानदेय | ₹2.25 लाख (पेंशन सहित) |
संचालन मंत्रालय | कानून और न्याय मंत्रालय |