अत्यधिक मौसम घटनाओं से सबसे अधिक प्रभावित देशों में भारत
जर्मनवॉच की नवीनतम जलवायु जोखिम सूचकांक (Climate Risk Index) रिपोर्ट के अनुसार, भारत 1993 से 2022 तक की अवधि में वैश्विक स्तर पर छठा सबसे अधिक जलवायु प्रभावित देश रहा है। रिपोर्ट बताती है कि पिछले 30 वर्षों में भारत में 80,000 से अधिक लोगों की जान गई है और 180 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक की आर्थिक क्षति हुई है, जिसमें बाढ़, चक्रवात और अत्यधिक गर्मी जैसी घटनाएं प्रमुख रहीं।
जलवायु आपदाओं की तीव्रता और आवृत्ति
भारत ने तीन दशकों में 400 से अधिक प्रमुख मौसम आधारित आपदाओं का सामना किया है। इनमें 1998 का गुजरात चक्रवात, 1999 का ओडिशा सुपर साइक्लोन और 2013 की उत्तराखंड बाढ़ शामिल हैं। हर साल मानसूनी बाढ़ लाखों लोगों को विस्थापित करती है और कृषि, घरों तथा बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाती है। 2020 का चक्रवात अम्फान भी भारत की आपदा तैयारियों की परीक्षा बन गया था।
वैश्विक जलवायु जोखिम पर भारत की स्थिति
भारत की छठी रैंक यह दर्शाती है कि कम प्रति व्यक्ति उत्सर्जन के बावजूद भारत अत्यधिक जलवायु प्रभाव झेलता है। वैश्विक आंकड़ों के अनुसार, 9,400 से अधिक चरम मौसम घटनाएं हुई हैं, जिनसे 7.65 लाख मौतें और 4.2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की क्षति हुई है। डोमिनिका, होंडुरास और चीन जैसे देश भी सूची में उच्च स्थान पर हैं, जो यह दर्शाता है कि विकासशील देश जलवायु परिवर्तन के सबसे बड़े शिकार हैं।
आर्थिक खतरे और भविष्य की आशंका
एशियाई विकास बैंक (ADB) के अनुसार यदि जलवायु कार्रवाई अपर्याप्त रही, तो 2070 तक भारत की GDP में लगभग 25% की गिरावट आ सकती है। यह पूर्वानुमान समुद्र–स्तर वृद्धि, कृषि उत्पादकता में गिरावट, श्रमिक क्षमता में कमी और ऊर्जा लागत में वृद्धि जैसे कारकों पर आधारित है। रिपोर्ट में बताया गया कि भारत के जलवायु नुकसान में से 56% तूफानों और 32% बाढ़ों से हुआ है।
रिपोर्ट की सिफारिशें और जोखिम निष्कर्ष
जर्मनवॉच रिपोर्ट में बताया गया कि निम्न–मध्यम आय वाले देश, जैसे भारत, सीमित वित्त और प्रौद्योगिकी के कारण सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। इसलिए रिपोर्ट में पूर्व चेतावनी प्रणाली, आपदा प्रबंधन रणनीतियाँ और वित्तीय सहायता की अनुशंसा की गई है, जिससे भारत जैसे देशों को अनुकूलन (Adaptation) में मदद मिल सके।
वैश्विक जलवायु न्याय की मांग
रिपोर्ट के निष्कर्षों ने COP29 जैसे वैश्विक मंचों पर विकसित देशों द्वारा जलवायु वित्त वादों को पूरा करने की मांग को बल दिया है। विश्व आर्थिक मंच (WEF) 2025 ने भी चरम मौसम को दूसरा सबसे बड़ा वैश्विक खतरा बताया है। जर्मनवॉच ने यह दोहराया कि उच्च उत्सर्जन वाले देशों को हरित प्रौद्योगिकी और वित्तीय मदद के माध्यम से विकासशील देशों की सहायता करनी चाहिए।
स्थैतिक सामान्य ज्ञान सारांश (STATIC GK SNAPSHOT)
विषय | विवरण |
रिपोर्ट शीर्षक | जर्मनवॉच जलवायु जोखिम सूचकांक |
भारत की रैंक (1993–2022) | वैश्विक स्तर पर 6वीं |
भारत में मौतें | 80,000+ |
भारत की कुल जलवायु क्षति | 180 अरब अमेरिकी डॉलर |
प्रमुख आपदाएँ | गुजरात चक्रवात (1998), ओडिशा सुपर साइक्लोन (1999), अम्फान (2020), उत्तराखंड बाढ़ (2013) |
तूफान से नुकसान | 56% |
बाढ़ से नुकसान | 32% |
GDP में अनुमानित गिरावट (2070) | 24.7% (ADB) |
वैश्विक असर | 9,400 घटनाएँ, 7.65 लाख मौतें, 4.2 ट्रिलियन डॉलर की क्षति |
प्रमुख वैश्विक मंच | COP29, विश्व आर्थिक मंच (WEF) 2025 |