सितम्बर 12, 2025 5:17 पूर्वाह्न

चित्तौड़गढ़ किले के पास खनन पर रोक: राजस्थान की धरोहर सुरक्षा की पहल

करेंट अफेयर्स: राजस्थान विरासत की रक्षा के लिए चित्तौड़गढ़ किले के पास खनन पर प्रतिबंध लगा सकता है, चित्तौड़गढ़ किले में खनन पर प्रतिबंध, राजस्थान सरकार यूनेस्को साइट, बिड़ला कॉर्पोरेशन खनन विवाद, सुप्रीम कोर्ट खनन आदेश, आईआईटी धनबाद ब्लास्ट अध्ययन, सीबीआरआई एएसआई विरासत रिपोर्ट, पर्यावरण क्षरण राजस्थान

Rajasthan May Ban Mining Near Chittorgarh Fort to Protect Heritage

संकट में एक ऐतिहासिक धरोहर

राजस्थान का चित्तौड़गढ़ किला, जो राजपूत वीरता और गौरव का प्रतीक है, जल्द ही खनन गतिविधियों से संरक्षित क्षेत्र घोषित किया जा सकता है। राज्य सरकार किले की 10 किमी परिधि के भीतर खनन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रही है। यह निर्णय वर्षों से चल रही कानूनी लड़ाइयों और विशेषज्ञ चेतावनियों के बाद सामने आया है, जो यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल की संरचनात्मक और पर्यावरणीय सुरक्षा को लेकर जताई गई थीं।

कानूनी विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुँचा

इस मामले की शुरुआत 2012 में राजस्थान हाई कोर्ट द्वारा लगाए गए खनन प्रतिबंध से हुई थी। परंतु बिरला कॉर्पोरेशन लिमिटेड, जो इस क्षेत्र में एक प्रमुख चूना पत्थर खनन कंपनी है, ने इस निर्णय को चुनौती दी। मामला अब सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। कोर्ट ने 2024 में IIT–ISM धनबाद से वैज्ञानिक प्रभाव अध्ययन करवाने का आदेश दिया ताकि खनन से होने वाले नुकसान का आकलन किया जा सके।

विरोधाभासी रिपोर्टें और आलोचना

IIT–ISM धनबाद की जनवरी 2024 की रिपोर्ट में दावा किया गया कि 5 किमी से बाहर नियंत्रित विस्फोट सुरक्षित हैं। लेकिन संरक्षण विशेषज्ञों और विरासत संगठनकर्ताओं ने इस दावे की आलोचना की। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में मानक विस्फोट प्रभाव विश्लेषण नहीं किया गया और क्षेत्र की भूगर्भीय संरचना का पर्याप्त अध्ययन भी नहीं हुआ। “नियंत्रित विस्फोट” जैसी शब्दावली की अस्पष्टता और अमल की व्यवहार्यता पर भी सवाल उठे।

संस्थागत विरोध और पर्यावरणीय क्षति

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) और सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (CBRI) दोनों ने किले के पास खनन का विरोध किया है। उन्होंने चेताया कि चित्तौड़गढ़ किला अपनी प्राचीन और नाजुक संरचना के कारण हल्के कंपन से भी नुकसान झेल सकता है। साथ ही पर्यावरणीय रिपोर्टों में बेडाच और गम्भीरी नदियों में खनन के कारण प्रदूषण और पारिस्थितिक असंतुलन की पुष्टि हुई है—जो जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 का उल्लंघन है।

खनन की तीव्र गति से बढ़ती चिंता

चित्तौड़गढ़ जिले में खनन एक बड़ा आर्थिक उद्योग है। यहाँ लगभग 4,360 हेक्टेयर भूमि पर लाइमस्टोन खनन पट्टे फैले हैं, जिससे सालाना 11 मिलियन टन से अधिक उत्पादन होता है। माइनर मिनरल्स से 5.2 मिलियन टन अतिरिक्त उत्पादन होता है। इतनी बड़ी मात्रा में खनन, वह भी सदियों पुराने किले के पास, ने सख्त नियमन और दीर्घकालिक संरक्षण योजनाओं की ज़रूरत को रेखांकित किया है।

स्थैतिक जीके झलक (Static GK Snapshot)

विषय विवरण
स्मारक का नाम चित्तौड़गढ़ किला
स्थान चित्तौड़गढ़, राजस्थान
यूनेस्को स्थिति 2013 में घोषित – राजस्थान के पहाड़ी किले श्रृंखला
ऐतिहासिक महत्व रानी पद्मिनी, राणा कुम्भा, राजपूत प्रतिरोध से जुड़ा
किला क्षेत्रफल 700 एकड़ (65 ऐतिहासिक संरचनाएं)
कानूनी मामला प्रारंभ राजस्थान हाई कोर्ट, 2012
वर्तमान कानूनी मंच भारत का सुप्रीम कोर्ट
वैज्ञानिक अध्ययन संस्था IIT – ISM धनबाद
प्रमुख विरोधी संस्थान ASI, CBRI, पर्यावरण समूह
प्रभावित स्थानीय नदियाँ बेडाच और गम्भीरी
प्रमुख खनन कंपनी बिरला कॉर्पोरेशन लिमिटेड
कुल खनन उत्पादन 16.2 मिलियन टन/वर्ष (प्रमुख + गौण खनिज)

 

Rajasthan May Ban Mining Near Chittorgarh Fort to Protect Heritage
  1. राजस्थान सरकार चित्तौड़गढ़ किले के 10 किमी के दायरे में खनन पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रही है ताकि उसकी विरासत को संरक्षित किया जा सके।
  2. चित्तौड़गढ़ किला, राजस्थान के पहाड़ी किलों में शामिल युनेस्को विश्व धरोहर स्थल है, जिसे 2013 में घोषित किया गया था
  3. प्रस्तावित प्रतिबंध कानूनी विवादों और खनन से संरचनात्मक क्षति की चेतावनियों के बाद लाया गया है।
  4. यह मामला 2012 में राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा किले के पास खनन पर प्रतिबंध लगाने के आदेश से शुरू हुआ।
  5. बिड़ला कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने इस प्रतिबंध को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
  6. 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने खनन के प्रभाव का मूल्यांकन करने के लिए वैज्ञानिक अध्ययन का आदेश दिया।
  7. IIT–ISM धनबाद की रिपोर्ट में दावा किया गया कि 5 किमी से बाहर नियंत्रित ब्लास्टिंग किले के लिए सुरक्षित होगी।
  8. रिपोर्ट की आलोचना की गई क्योंकि इसमें विस्फोट प्रभाव और भूवैज्ञानिक आकलन की कमी पाई गई।
  9. संरक्षणवादियों ने नियंत्रित ब्लास्टिंगशब्द की व्याख्या और लागू करने की क्षमता पर सवाल उठाए।
  10. ASI (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) और CBRI (केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान) ने किले के पास किसी भी खनन का स्पष्ट विरोध किया है।
  11. इतिहासिक और नाजुक नींव वाला किला विस्फोटों की कंपन और खुदाई से आसानी से क्षतिग्रस्त हो सकता है
  12. खनन ने बेदाच और गम्भीरी नदियों में पर्यावरणीय क्षति पहुंचाई है, जो प्रदूषण नियंत्रण कानूनों का उल्लंघन है।
  13. रिपोर्टों में जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के उल्लंघन का भी उल्लेख है।
  14. किला 700 एकड़ क्षेत्र में फैला है, जिसमें 65 ऐतिहासिक संरचनाएं, जैसे मंदिर और महल शामिल हैं।
  15. यह किला रानी पद्मिनी, राणा कुम्भा और राजपूत प्रतिरोध की ऐतिहासिक कथाओं से जुड़ा हुआ है।
  16. चित्तौड़गढ़ जिले में 4,360 हेक्टेयर क्षेत्र में लाइमस्टोन खनन पट्टे स्वीकृत हैं।
  17. जिले में प्रमुख खनिज उत्पादन1 करोड़ टन/वर्ष और 5.2 मिलियन टन छोटे खनिज होते हैं।
  18. संरक्षण विशेषज्ञ एक बफर ज़ोन और दीर्घकालिक विरासत संरक्षण रणनीति की मांग कर रहे हैं।
  19. यह स्थिति विरासत संरक्षण और औद्योगिक विकास के बीच संघर्ष को उजागर करती है।
  20. इस मामले का परिणाम भारत में विकास और सांस्कृतिक संरक्षण के संतुलन के लिए एक मिसाल बन सकता है।

 

Q1. चित्तौड़गढ़ किले के पास खनन पर प्रतिबंध लगाने के लिए प्रस्तावित बफर ज़ोन कितना है?


Q2. चित्तौड़गढ़ किले के पास खनन विवाद के केंद्र में कौन सी कंपनी है?


Q3. 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने किले के पास खनन को लेकर किस प्रकार के अध्ययन का आदेश दिया था?


Q4. चित्तौड़गढ़ के पास खनन से पर्यावरणीय रूप से कौन सी दो नदियाँ प्रभावित हुई हैं?


Q5. चित्तौड़गढ़ किले को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल कब घोषित किया गया था?


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