चरक की चिकित्सा विरासत
चरक का काल कुषाण साम्राज्य के दौरान माना जाता है, जब वे राजवैद्य के रूप में कार्यरत थे। उन्हें भारत का चिकित्सा शास्त्र का पितामह कहा जाता है। उनकी रचना चरक संहिता आयुर्वेद की आंतरिक चिकित्सा पर आधारित एक प्रमुख ग्रंथ है।
यह ग्रंथ केवल चिकित्सा का दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह हिमालय की तराइयों में आयोजित एक भव्य आयुर्वेदिक सभा का सार है, जिसकी अध्यक्षता महर्षि आत्रेय ने की थी। चरक संहिता में रोग-निदान, चिकित्सा, आहार-विहार, और शरीर के संतुलन की अवधारणाओं को अत्यंत वैज्ञानिक ढंग से प्रस्तुत किया गया है।
Static GK तथ्य: कुषाण साम्राज्य (1st–3rd सदी ई.) के काल में भारतीय चिकित्सा, संस्कृति और बौद्ध धर्म का मध्य एशिया तक प्रचार हुआ।
सुश्रुत का शल्य चिकित्सा कौशल
सुश्रुत को प्लास्टिक सर्जरी का जनक माना जाता है। उनकी रचना सुश्रुत संहिता एक शल्य चिकित्सा (सर्जरी) पर आधारित प्राचीन ग्रंथ है। इस ग्रंथ में मानव शरीर की संरचना, शल्य उपकरणों का प्रयोग, और मोतियाबिंद जैसी बीमारियों का इलाज बताया गया है।
सुश्रुत ने चिकित्सा में साफ-सफाई, प्रशिक्षण और शल्य कौशल को महत्व दिया। उनकी दृष्टि से चिकित्सा केवल रोग का इलाज नहीं, बल्कि समग्र स्वास्थ्य और सर्जन की मानसिक तैयारी का विज्ञान था।
Static GK तथ्य: सुश्रुत संहिता विश्व का सबसे पुराना ऐसा ग्रंथ है जो सर्जरी पर इतने व्यापक और वैज्ञानिक ढंग से प्रकाश डालता है।
प्रतिमाएं क्यों महत्वपूर्ण हैं?
राज भवन जैसे प्रतिष्ठित स्थान पर इन प्रतिमाओं की स्थापना यह दर्शाती है कि भारत अपने वैज्ञानिक और सांस्कृतिक इतिहास को पुनः जाग्रत करने की दिशा में गंभीर है। यह आयुर्वेद की वर्तमान प्रासंगिकता और वैश्विक स्वीकार्यता को भी रेखांकित करता है।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
कार्यक्रम | चरक और सुश्रुत की प्रतिमाओं का उद्घाटन |
स्थान | राज भवन, गोवा |
चरक की पहचान | भारत के चिकित्सा पितामह |
प्रमुख कृति – चरक | चरक संहिता |
चरक संहिता का विषय | आंतरिक चिकित्सा और स्वास्थ्य प्रबंधन |
काल – चरक | कुषाण साम्राज्य (1st–3rd सदी ई.) |
सुश्रुत की पहचान | प्लास्टिक सर्जरी के जनक |
प्रमुख कृति – सुश्रुत | सुश्रुत संहिता |
सुश्रुत संहिता का विषय | शल्य चिकित्सा, शरीर रचना, मोतियाबिंद |
चरक संहिता में प्रमुख वैद्य | आत्रेय |
चिकित्सा पद्धति | आयुर्वेद |