शब्दों के माध्यम से साहस और मानवता का उत्सव
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) हाल ही में कैलाश सत्यार्थी की आत्मकथा ‘दियासलाई’ पर केंद्रित एक विशेष साहित्यिक कार्यक्रम का मंच बना। यह आयोजन संस्कृति मंत्रालय और सत्यार्थी मूवमेंट फॉर ग्लोबल कंपैशन द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था। यह आयोजन बाल अधिकारों की वैश्विक लड़ाई में सत्यार्थी के करुणा-आधारित कार्यों और समर्पित जीवन को रेखांकित करता है।
दियासलाई: एक व्यक्तिगत यात्रा जो आत्मकथा से आगे जाती है
‘दियासलाई’—जिसका अर्थ है माचिस की तीली—सिर्फ एक आत्मकथा नहीं है, बल्कि यह सत्यार्थी के जीवन के संघर्ष, साहस और सामाजिक परिवर्तन की कहानी है। इसमें मध्यप्रदेश के विदिशा में उनके साधारण बचपन, एक पुलिसकर्मी के बेटे से लेकर 186 देशों में फैले बचपन बचाओ आंदोलन तक की यात्रा वर्णित है। यह पुस्तक केवल एक संस्मरण नहीं, बल्कि शोषण के विरुद्ध मानव गरिमा की विजय की जीवंत गाथा है।
पीड़ा, आशा और प्रतिरोध की कहानियाँ
‘दियासलाई’ के पन्नों में बाल श्रमिकों की भयावह कहानियाँ, तस्करों से आमना–सामना, और अंतरराष्ट्रीय नीति–निर्माताओं के साथ संवाद जैसे प्रसंगों को भावनात्मक और यथार्थपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया गया है। पुस्तक में अन्याय का दर्द और स्वतंत्रता की आशा दोनों को समान बल मिला है—जो हर उस पाठक को झकझोर देती है जो बाल अधिकारों और मानव गरिमा में विश्वास रखता है।
साहित्य: नैतिक दिशा का दर्पण
कार्यक्रम में बोलते हुए कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि करुणा केवल भावना नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक दायित्व है, जिसे कार्रवाई में बदला जाना चाहिए। उन्होंने इस बात पर दुख जताया कि आर्थिक प्रगति के युग में भी बाल तस्करी, जबरन श्रम और असमानता जैसे मुद्दे उपेक्षित हैं। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि साहित्य सामाजिक चेतना का वाहक बन सकता है, जो लोगों और संस्थाओं को न्याय के लिए प्रेरित करता है।
परिवर्तन के नए कर्णधारों को प्रेरणा
‘दियासलाई’ केवल संस्मरण नहीं, बल्कि एक सामाजिक उत्तरदायित्व का घोषणापत्र है। यह विशेष रूप से छात्रों, सिविल सेवा के उम्मीदवारों और युवा नीति निर्माताओं को अन्याय के विरुद्ध खड़े होने की प्रेरणा देता है। IGNCA द्वारा इस पुस्तक को राष्ट्रीय स्तर पर मंच देने से यह स्पष्ट होता है कि साहित्यिक कृतियाँ सामाजिक विमर्श और नीतिगत सोच को आकार दे सकती हैं।
STATIC GK SNAPSHOT
विषय | विवरण |
लेखक | कैलाश सत्यार्थी |
पुस्तक का नाम | दियासलाई |
आयोजन स्थल | IGNCA, संस्कृति मंत्रालय एवं सत्यार्थी आंदोलन द्वारा |
विधा | आत्मकथा (सामाजिक न्याय पर केंद्रित) |
प्रमुख उपलब्धि | 186 देशों में बाल श्रम विरोधी वैश्विक मार्च का नेतृत्व |
वैश्विक सम्मान | नोबेल शांति पुरस्कार, 2014 (मलाला यूसुफजई के साथ) |
मूल स्थान | विदिशा, मध्य प्रदेश |
परीक्षा प्रासंगिकता | भारतीय नोबेल विजेता, सामाजिक आंदोलन, बाल अधिकार कानून |