प्राचीन तमिल लोगों का चेहरा सामने आया
कीलड़ी पुरातत्व स्थल से प्राप्त डीएनए का उपयोग करके चेहरे की 3D डिजिटल पुनर्निर्माण तकनीक के माध्यम से यह अनुमान लगाया गया कि ईसा पूर्व 6वीं शताब्दी के कीलड़ी निवासी कैसे दिखते थे। यह शोध लिवरपूल जॉन मूर्स यूनिवर्सिटी के नेतृत्व में भारतीय विशेषज्ञों के सहयोग से हुआ। इस परियोजना को भारत की सांस्कृतिक पहचान के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि माना जा रहा है।
कीलड़ी का ऐतिहासिक महत्व
कीलड़ी, मदुरै से 12 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित है और इसे संगम युग का शहरी केंद्र माना जाता है। यहां की खुदाई में ईंट की इमारतें, तमिल ब्राह्मी लिपि वाले बर्तन, और व्यापार व साक्षरता के प्रमाण मिले हैं।
Static GK तथ्य: कीलड़ी को मौर्य काल से पहले दक्षिण भारत में शहरी सभ्यता का प्रमाण माना जाता है।
चेहरे की पुनर्निर्माण प्रक्रिया
शोधकर्ताओं ने कम्प्यूटर–असिस्टेड फोरेंसिक मॉडलिंग तकनीक से खोपड़ी पर मांसपेशियों, त्वचा, और चेहरे की बनावट का पुनर्निर्माण किया। यह तकनीक विज्ञान और इतिहास के मिलन से प्राचीन सभ्यता के लोगों की छवि को वास्तविक रूप में सामने लाती है।
डीएनए विश्लेषण और वंश का संकेत
डीएनए अध्ययन में दक्षिण भारतीय, पश्चिम यूरेशियाई और ऑस्ट्रो–एशियाटिक वंश के मिश्रण का पता चला है, जो भारत में प्राचीन जनसंख्या आंदोलनों और सांस्कृतिक आदान–प्रदान को दर्शाता है।
Static GK तथ्य: तमिलनाडु की तटीय स्थिति ने अतीत में भूमध्यसागरीय और दक्षिण–पूर्व एशियाई सभ्यताओं से संपर्क को संभव बनाया।
कोंडगई डीएनए और भविष्य की शोध
कीलड़ी के पास स्थित कोंडगई दफन स्थल पर भी अस्थिकल और डीएनए अध्ययन चल रहे हैं। वहां कलश दफन विधि का उपयोग हुआ था। भविष्य में हार्वर्ड विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों से सहयोग की संभावना है। इन अध्ययनों का उद्देश्य प्राचीन तमिल समाजों की संरचना और उत्पत्ति को समझना है।
अस्थि विश्लेषण और शारीरिक लक्षण
कोंडगई से प्राप्त अस्थियों के अध्ययन से ज्ञात हुआ कि औसतन जीवन प्रत्याशा करीब 50 वर्ष थी। हड्डियों की संरचना से लिंग, ऊंचाई और आयु का अनुमान लगाया गया।
Static GK तथ्य: संगम युग की साहित्य में योद्धाओं को लंबे और पराक्रमी के रूप में वर्णित किया गया है, जो इन निष्कर्षों से मेल खाता है।
एएसआई रिपोर्ट और राजनीतिक बहस
तमिलनाडु सरकार और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के बीच खुदाई रिपोर्ट जारी करने को लेकर विवाद चल रहा है। राज्य ने रेडियोकार्बन डेटिंग के आधार पर सभ्यता की अधिक प्राचीनता का दावा किया है, जिसे ASI ने सार्वजनिक रूप से मान्यता नहीं दी है।
Static GK टिप: ASI संस्कृति मंत्रालय के अधीन कार्य करता है और भारत में प्रमुख पुरातात्विक उत्खननों की निगरानी करता है।
सांस्कृतिक पहचान को नया रूप
यह चेहरा पुनर्निर्माण परियोजना तमिल सांस्कृतिक पहचान को सजीव बनाती है। यह साबित करती है कि दक्षिण भारत की शहरी सभ्यताएं भी उतनी ही प्राचीन थीं जितनी सिंधु घाटी या गंगा सभ्यता की। यह शोध तमिल गौरव और इतिहास के प्रति जुड़ाव को मजबूत करता है।
Static Usthadian Current Affairs Table (Hindi)
विषय | विवरण |
कीलड़ी स्थान | मदुरै से 12 किमी दक्षिण-पूर्व, तमिलनाडु |
ऐतिहासिक काल | ईसा पूर्व 6वीं शताब्दी |
पुनर्निर्माण संस्थान | लिवरपूल जॉन मूर्स यूनिवर्सिटी |
डीएनए स्रोत | कीलड़ी और कोंडगई के दफन स्थल |
वंशीय संरचना | दक्षिण भारतीय, पश्चिम यूरेशियाई, ऑस्ट्रो-एशियाटिक मिश्रण |
तकनीक | 3D फोरेंसिक फेसियल मॉडलिंग |
सहयोगी संस्थान | हार्वर्ड विश्वविद्यालय (डीएनए अनुक्रमण) |
औसत जीवनकाल | लगभग 50 वर्ष |
तमिलनाडु की मांग | ASI रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए |
ASI पर्यवेक्षण | भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अधीन |