पवन ऊर्जा क्षेत्र में कर्नाटक की अग्रणी भूमिका
कर्नाटक ने भारत के पवन ऊर्जा क्षेत्र में बड़ी छलांग लगाई है और स्वच्छ ऊर्जा की दौड़ में एक अग्रणी राज्य के रूप में उभरा है। वित्त वर्ष 2024-25 में राज्य ने 1,331.48 मेगावाट की नई पवन ऊर्जा क्षमता जोड़ी है। यह उपलब्धि ग्लोबल विंड डे 2025 पर बेंगलुरु में मान्यता प्राप्त हुई, जिसने कर्नाटक की हरित पहचान को और मजबूत किया।
अब राज्य की कुल पवन ऊर्जा क्षमता 7,351 मेगावाट हो चुकी है, जिससे यह देश के शीर्ष अक्षय ऊर्जा उत्पादक राज्यों में शामिल हो गया है। भारत के 2030 तक 500 गीगावाट अक्षय ऊर्जा लक्ष्य की दिशा में कर्नाटक का योगदान उल्लेखनीय बनता जा रहा है।
निवेश से बढ़ रही गति
कर्नाटक की यह उपलब्धि केवल नीतिगत समर्थन से नहीं, बल्कि मजबूत निवेश प्रतिबद्धताओं से भी संभव हुई है। ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट 2025 में राज्य ने ₹4 लाख करोड़ का स्वच्छ ऊर्जा निवेश आकर्षित किया, जिसमें से लगभग 40% निवेश केवल अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं में किया गया है। इस निवेश का बड़ा हिस्सा पवन ऊर्जा अवसंरचना के विकास में लग रहा है।
राज्य में 17 गीगावाट पवन ऊर्जा परियोजनाओं की योजना है, जिसमें से 5 गीगावाट को अक्षय ऊर्जा क्लस्टर कार्यक्रम के तहत विकसित किया जाएगा। इसके लिए 400 केवी ट्रांसमिशन गलियारों और 20 से अधिक नए सबस्टेशन की स्थापना प्रस्तावित है, जिससे बिजली वितरण अधिक सुगम हो सकेगा।
भारत की वैश्विक पवन ऊर्जा स्थिति
भारत वर्तमान में विश्व में चौथे स्थान पर है, जिसकी कुल पवन ऊर्जा क्षमता 51.5 गीगावाट है। केंद्र सरकार का लक्ष्य इसे 2030 तक 100 गीगावाट तक बढ़ाना है, जिसमें 30 गीगावाट अपतटीय (offshore) स्रोतों से आएगा।
दिलचस्प बात यह है कि भारत अब पवन ऊर्जा प्रौद्योगिकी का निर्यातक भी बन रहा है। 2024-25 के वित्त वर्ष में ही 3.5 से 4 गीगावाट की पवन टर्बाइनों और उनके पुर्जों का निर्यात किया गया है, जिससे भारत की तकनीकी नेतृत्व क्षमता भी स्पष्ट होती है।
भविष्य की ऊर्जा रणनीति
हालांकि प्रगति सराहनीय है, भारत को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि बिजली आपूर्ति निरंतर और स्थिर बनी रहे। इसके लिए पवन, सौर और पम्प्ड स्टोरेज सिस्टम के एकीकरण की आवश्यकता है। साथ ही, बिजली दरों को किफायती बनाए रखना और घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
कर्नाटक जैसे राज्यों की सशक्त पहल से भारत का हरित भविष्य अब और अधिक साकार होता दिख रहा है।
Static Usthadian Current Affairs Table
महत्वपूर्ण पक्ष | विवरण |
कर्नाटक द्वारा जोड़ी गई पवन ऊर्जा (2024-25) | 1,331.48 मेगावाट |
कर्नाटक की कुल पवन ऊर्जा क्षमता | 7,351 मेगावाट |
ग्लोबल विंड डे 2025 का स्थान | बेंगलुरु |
भारत का अक्षय ऊर्जा लक्ष्य | 2030 तक 500 गीगावाट |
भारत का पवन ऊर्जा लक्ष्य | 100 गीगावाट (जिसमें 30 GW अपतटीय शामिल) |
भारत की वैश्विक पवन ऊर्जा रैंक | चौथा स्थान |
2024-25 में भारत का पवन ऊर्जा निर्यात | 3.5–4 गीगावाट के टर्बाइन और पुर्जे |
निवेश (ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट 2025) | ₹4 लाख करोड़ |
प्रस्तावित पवन परियोजनाएं | 17 गीगावाट (5 GW अक्षय ऊर्जा क्लस्टर कार्यक्रम के तहत) |
प्रस्तावित नए सबस्टेशन | 20 से अधिक |