कर्नाटक का नया गिग वर्कर्स अध्यादेश क्या है?
कर्नाटक सरकार ने प्लेटफ़ॉर्म आधारित गिग श्रमिक (सामाजिक सुरक्षा और कल्याण) अध्यादेश, 2025 जारी किया है। यह नया कानून गिग श्रमिकों के लिए कानूनी सुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा को सुनिश्चित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
गिग वर्कर वे होते हैं जो पारंपरिक नौकरी और कर्मचारी संबंधों के बाहर काम करते हैं — जैसे कि Zomato के डिलीवरी पार्टनर या Ola/Uber ड्राइवर। ये कार्य आमतौर पर प्लेटफ़ॉर्म ऐप्स के माध्यम से अस्थायी और लचीले होते हैं।
भारत में बढ़ती गिग अर्थव्यवस्था
नीति आयोग के अनुसार, 2020–21 में भारत में 77 लाख गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स थे। यह आंकड़ा 2029–30 तक बढ़कर 2.35 करोड़ तक पहुंचने की संभावना है। यही वजह है कि राज्य सरकारें, जैसे कि कर्नाटक, इन श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा और संरक्षण देने के लिए सक्रिय हो रही हैं।
अध्यादेश की प्रमुख विशेषताएँ
इस अध्यादेश की मुख्य विशेषता है एक राज्य–स्तरीय वेलफेयर बोर्ड की स्थापना, जो गिग श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की निगरानी करेगा।
इसके साथ ही, Zomato, Swiggy, Ola, Amazon जैसे प्लेटफॉर्मों को प्रत्येक लेन–देन का 1% से 5% एक वेलफेयर फंड में देना होगा।
इस फंड में सरकार और श्रमिकों का योगदान भी होगा, जिससे बीमा, पेंशन और अन्य सुरक्षा लाभ दिए जाएंगे।
अध्यादेश अनुचित निष्कासन से सुरक्षा, एक अद्वितीय पहचान संख्या (ID) की व्यवस्था और पारदर्शिता के साथ एल्गोरिदम आधारित निगरानी पर ज़ोर देता है।
गिग वर्कर्स को किन समस्याओं का सामना है?
गिग श्रमिकों की आय अस्थिर होती है। स्वास्थ्य बीमा, पेड लीव जैसी मूलभूत सुरक्षा सुविधाएँ इन्हें नहीं मिलतीं।
एल्गोरिदम आधारित प्रबंधन भी एक प्रमुख चिंता है, जहां ऐप द्वारा निर्णय लिए जाते हैं, जिनमें मानवीय संवेदनाएँ नहीं होतीं।
अन्य राज्यों की पहलें
कर्नाटक अकेला नहीं है।
- राजस्थान ने 2023 में गिग वर्कर्स अधिनियम पारित किया।
- झारखंड ने 2024 में एक वेलफेयर बिल का मसौदा तैयार किया।
राष्ट्रीय स्तर पर ई–श्रम पोर्टल (2021) असंगठित श्रमिकों के लिए पंजीकरण सुविधा प्रदान करता है ताकि उन्हें सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से जोड़ा जा सके।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
अध्यादेश का नाम | कर्नाटक प्लेटफॉर्म आधारित गिग श्रमिक अध्यादेश 2025 |
गिग श्रमिक की परिभाषा | पारंपरिक नियोक्ता-कर्मचारी संबंधों के बाहर काम करने वाला व्यक्ति |
भारत में गिग श्रमिक अनुमान | 77 लाख (2020-21), अनुमानित 2.35 करोड़ (2029-30) |
वेलफेयर बोर्ड | राज्य स्तर पर गिग श्रमिकों के लिए कल्याणकारी निकाय |
वेलफेयर शुल्क | प्रत्येक लेन-देन पर 1–5% प्लेटफॉर्म योगदान |
शामिल प्लेटफॉर्म | Zomato, Ola, Swiggy, Amazon आदि |
मुख्य लाभ | निष्कासन से सुरक्षा, यूनिक ID, एल्गोरिदमिक पारदर्शिता |
प्रमुख चुनौतियाँ | नौकरी की अस्थिरता, सामाजिक सुरक्षा की कमी, एल्गोरिदमिक नियंत्रण |
अन्य राज्य पहलें | राजस्थान अधिनियम 2023, झारखंड विधेयक 2024 |
राष्ट्रीय पहल | ई-श्रम पोर्टल (2021) |