हड़प्पा से भी पहले के प्रमाण
IIT गांधीनगर के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया ताज़ा पुरातात्विक अध्ययन भारत के इतिहास की धारणा को हिला रहा है। शोध में यह पाया गया कि कच्छ के महान रण में मानव निवास के प्रमाण हड़प्पा सभ्यता से कम से कम 5,000 साल पुराने हैं। यह खोज विशेष रूप से धोलावीरा के पास मिले प्राचीन शंख अवशेषों के आधार पर की गई।
स्थल ने क्या उजागर किया?
धोलावीरा के पास का क्षेत्र अनेकों पुरातात्विक रहस्यों से भरा हुआ पाया गया। यहां समुद्री शंखों के अलावा पाषाण औज़ार, मिट्टी के बर्तन, और घर जैसी संरचनाओं के अवशेष भी मिले। 1800 के दशक में ही भूविज्ञानी आर्थर बीवर वाइन ने यहां शंखों की उपस्थिति दर्ज की थी। अब आधुनिक अनुसंधान ने साबित कर दिया कि ये अवशेष एक बहुत पुरानी जनजातीय बस्ती के हैं।
तटीय शिकारी समुदाय का जीवन
यहाँ के लोग शहरों का निर्माण नहीं कर रहे थे, लेकिन उन्होंने प्राकृतिक संसाधनों पर आधारित स्थायी जीवनशैली विकसित की थी। वे मैन्ग्रोव तटों पर निर्भर रहने वाले शिकारी-संग्राहक थे। यहां पाए गए Terebralia palustris जैसे शंखों से पता चलता है कि वे इन्हें पका कर खाते थे। उनका जीवन ऋतु आधारित था — वे प्राकृतिक संसाधनों के अनुसार स्थान बदलते थे।
औज़ारों की कहानी
जो औज़ार पाए गए वे केवल घरेलू उपयोग के नहीं थे। ये बेसाल्ट और क्वार्ट्जाइट जैसे पत्थरों से बने थे, जिनमें से कुछ स्थानीय नहीं थे। इससे यह संकेत मिलता है कि इन समुदायों का व्यापार nearby क्षेत्रों से होता था, जिससे उनकी जीवनशैली और टिकाऊ बनती थी।
विज्ञान क्या कहता है?
रेडियोकार्बन डेटिंग से यह सिद्ध हुआ है कि ये अवशेष 3300 ईसा पूर्व से 1400 ईसा पूर्व के बीच के हैं। इसका अर्थ है कि पश्चिमी भारत में मानव निवास की समय–रेखा हड़प्पा से हज़ारों साल पहले तक जाती है। आगे और परीक्षण किए जाएंगे, जो इस क्षेत्र के मानव इतिहास की और जानकारी देंगे।
बदलता भूगोल
आज का कच्छ का रण एक खारा मरुस्थल है, लेकिन हजारों साल पहले यह क्षेत्र समृद्ध मैन्ग्रोव वन और ऊँचे समुद्री स्तर वाला था। जैसे-जैसे जलवायु बदली, मनुष्यों की जीवन शैली भी बदली। उनका अनुकूलन क्षमता दर्शाता है कि वे प्रकृति और अस्तित्व को भलीभांति समझते थे।
आगे क्या?
शोध यहीं नहीं रुकेगा। खोदाई जारी रहेगी, जिससे यह पता चलेगा कि ये लोग क्या खाते थे, कैसे रहते थे, और किससे जुड़े थे। अन्य संस्थान भी जुड़कर भारत के सबसे पहले बसने वालों की कहानी को उजागर करने में सहयोग करेंगे।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
सबसे पुराना निवास स्थल | कच्छ का महान रण, गुजरात |
अध्ययन का नेतृत्वकर्ता | IIT गांधीनगर |
सम्बंधित हड़प्पा स्थल | धोलावीरा |
कालखंड | 3300 ईसा पूर्व – 1400 ईसा पूर्व |
समाज का प्रकार | तटीय शिकारी-संग्राहक समुदाय |
मुख्य जीवाश्म प्रजाति | Terebralia palustris (मैन्ग्रोव शंख) |
औज़ारों का पदार्थ | बेसाल्ट, क्वार्ट्जाइट |
प्रारंभिक व्यापार संकेत | गैर-स्थानीय सामग्री से संकेत |
शंखों की पहली खोज | आर्थर बीवर वाइन द्वारा (19वीं सदी) |
उस समय की भौगोलिक स्थिति | समुद्री स्तर ऊँचा, मैन्ग्रोव युक्त तटीय क्षेत्र |