त्वचा पर अंकित इतिहास: कंधा महिलाओं के टैटू का कारण
ओडिशा की कंधा महिलाओं के लिए चेहरे पर टैटू बनवाना केवल सजावट नहीं था। आमतौर पर 10 वर्ष की उम्र में बनवाए जाने वाले ये ज्यामितीय टैटू, उपनिवेशकालीन और ज़मींदारी शोषण से सुरक्षा का उपाय थे। ब्रिटिश सैनिकों, ज़मींदारों और स्थानीय शासकों द्वारा यौन हिंसा से बचने के लिए लड़कियां खुद को इन टैटू के जरिए पहचान योग्य बना देती थीं, जिससे उनका शोषण का खतरा कम हो जाता था। यह परंपरा अब लुप्त हो रही है, लेकिन यह प्रतिरोध और आत्मरक्षा का मौन प्रतीक बनकर भारतीय समाज में आज भी स्मरणीय है।
कंधा जनजाति की भाषा, जीवनशैली और वितरण
कंधा जनजाति ओडिशा की सबसे बड़ी जनजाति है, जो 2001 की जनगणना के अनुसार राज्य की 17.13% जनजातीय जनसंख्या का हिस्सा है। ये द्रविड़ भाषा परिवार से जुड़ी कुई और कुवी भाषा बोलते हैं और स्वयं को कुई लोकु, कुई एंजू, या कुईंगा कहते हैं। कंधा समाज में नाभिकीय परिवार प्रचलित हैं और संयुक्त परिवार दुर्लभ हैं। इनकी बस्तियाँ मुख्यतः कंधमाल, रायगढ़ा, कोरापुट और कालाहांडी जिलों में हैं। खेती, जंगल उत्पाद और पशुपालन इनकी ग्रामीण अर्थव्यवस्था का आधार है।
विशेष कमजोर जनजातियाँ: कुटिया कंधा और डोंगरिया कंधा
कंधा उप-जनजातियों में से कुटिया कंधा और डोंगरिया कंधा को विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTG) के रूप में वर्गीकृत किया गया है। भारत में कुल 75 PVTGs हैं, जिनमें से 13 ओडिशा में हैं — यह किसी भी राज्य में सबसे अधिक है। डोंगरिया कंधा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने नियमगिरि पहाड़ियों में बॉक्साइट खनन के विरोध के लिए प्रसिद्ध हैं, जिससे उन्होंने पर्यावरण और सांस्कृतिक विरासत दोनों की रक्षा की। वहीं, कुटिया कंधा अपनी 2 फीट गहराई में बने पारंपरिक घरों के लिए प्रसिद्ध हैं, जो उनकी सांस्कृतिक पहचान दर्शाते हैं।
सांस्कृतिक परिवर्तन: जीवित रहने से सशक्तिकरण तक
आज की पीढ़ी की अधिकतर कंधा महिलाएं टैटू नहीं बनवा रही हैं, जो दर्शाता है कि यह परंपरा अब सुरक्षा की बजाय सशक्तिकरण के नए रास्तों से बदल रही है। शिक्षा, अधिकारों की जानकारी और बेहतर सुरक्षा व्यवस्था ने ऐसे कठोर आत्मरक्षा उपायों की आवश्यकता को कम कर दिया है। फिर भी, यह टैटू अब भी जनजातीय संघर्ष और सहनशीलता की कहानी कहते हैं और भारत की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा हैं। वर्तमान में, छायाचित्रण, मौखिक इतिहास संग्रह और सांस्कृतिक प्रदर्शनियों के माध्यम से इस परंपरा को सहेजने के प्रयास किए जा रहे हैं।
Static GK Snapshot (हिंदी में)
विशेषता | विवरण |
जनजाति का नाम | कंधा (या खोंड) |
बोली जाने वाली भाषाएँ | कुई, कुवी (द्रविड़ परिवार) |
PVTG उप-समूह | कुटिया कंधा, डोंगरिया कंधा |
प्रमुख स्थान | ओडिशा (कंधमाल, रायगढ़ा, कोरापुट आदि) |
उल्लेखनीय तथ्य | यौन हिंसा से बचाव हेतु चेहरे के टैटू |
सांस्कृतिक आंदोलन | डोंगरिया कंधा द्वारा नियमगिरि खनन विरोध |
ओडिशा में PVTG की संख्या | 13 (भारत में सर्वाधिक) |
ओडिशा में जनजातीय आबादी में भागीदारी | 17.13% (2001 जनगणना) |