अगस्त 8, 2025 5:02 अपराह्न

ओडिशा का मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) पारंपरिक बीजों के पुनरुद्धार को बढ़ावा देता है

चालू घटनाएँ: ओडिशा पारंपरिक बीज, श्री अन्ना अभियान, भूमि प्रजातियाँ, समुदाय बीज केंद्र, फसल विविधता ब्लॉक, पीपीवीएफआर अधिनियम, हरित क्रांति प्रभाव, कृषि विविधता, कोरापुट जीआईएएचएस, किसान बीज अधिकार

Odisha's SOP Boosts Traditional Seed Revival

भूमि प्रजातियाँ (Landraces) क्या होती हैं?

भूमि प्रजातियाँ वे पारंपरिक फसल किस्में होती हैं जो पीढ़ियों से किसानों द्वारा प्राकृतिक अनुकूलन और चयन के माध्यम से विकसित हुई हैं। ये किस्में स्थानीय जलवायु और मिट्टी के लिए उपयुक्त होती हैं और उनमें कीटप्रतिरोधकता, उत्कृष्ट पोषण और पर्यावरणीय संतुलन की विशेषताएं होती हैं।

Static GK Fact: भारत में 166 से अधिक कृषिजैव विविधता वाले हॉटस्पॉट हैं, विशेषकर आदिवासी और पहाड़ी क्षेत्रों में।

हरित क्रांति और भूमि प्रजातियों का क्षरण

1960 के दशक में शुरू हुई हरित क्रांति ने देश में खाद्य उत्पादन बढ़ाया, लेकिन इसके कारण पारंपरिक बीजों का उपयोग घट गया। ओडिशा जैसे राज्यों में किसानों ने एकसमान हाईयील्डिंग वैरायटी (HYV) अपनाई, जिससे पारंपरिक बीज लगभग समाप्त हो गए।

Static GK Fact: हरित क्रांति की शुरुआत भारत में गेहूं और धान की फसलों से हुई थी।

भूमि प्रजातियों को पुनर्जीवित करने के लिए SOP

ओडिशा सरकार ने अगस्त 2025 में श्री अन्ना अभियान के तहत भूमि प्रजातियों के संरक्षण के लिए Standard Operating Procedure (SOP) जारी की है। यह किसाननेतृत्व वाली संरचना पर आधारित है और पारंपरिक बीजों को कृषि में औपचारिक रूप से वापसी दिलाने का प्रयास है।

मुख्य विशेषताएं:

  • कृषि जैव विविधता सर्वेक्षण द्वारा भूमि प्रजातियों की पहचान (उत्पादन, कीट प्रतिरोध)
  • फसल विविधता ब्लॉक (CDB) – उप-जिलाई स्तर पर बीज उत्पादन के लिए
  • समुदाय बीज केंद्र (CSC) – स्वयं सहायता समूहों और किसानों द्वारा संचालित
  • डिजिटल पंजीकरण – स्थानीय नाम, उपयोग और विशेषताओं सहित
  • Participatory Varietal Selection (PVS) – विभिन्न क्षेत्रों में किसान आधारित परीक्षण
  • बीज गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए LVRC (Landrace Varietal Release Committee) का गठन

कानूनी मान्यता और किसानों के अधिकार

इस SOP के तहत बीजों का स्वामित्व समुदायों और संरक्षक किसानों के नाम दर्ज किया जाएगा। उनके स्थानीय नाम भी डिजिटल डेटाबेस में संरक्षित किए जाएंगे।

Protection of Plant Varieties and Farmers’ Rights Act (PPVFRA), 2001 के तहत किसानों को बीजों को उपयोग, संरक्षण और साझा करने का कानूनी अधिकार प्राप्त है।

Static GK Tip: यह अधिनियम कृषि मंत्रालय के अंतर्गत PPV&FR प्राधिकरण द्वारा प्रशासित होता है।

अब तक की प्रगति और वैश्विक मान्यता

ओडिशा में अब तक 163 भूमि प्रजातियाँ संरक्षित की जा चुकी हैं, जिनमें से 14 को किसान पसंद करते हैं और 103 का पोषण परीक्षण जारी है। यह पूरी पहल FAO द्वारा कोरापुट को GIAHS घोषित करने की मान्यता के अनुरूप है।

Static GK Fact: FAO ने 2012 में कोरापुट (ओडिशा) को Globally Important Agricultural Heritage Site (GIAHS) घोषित किया था।

Static Usthadian Current Affairs Table

विषय विवरण
SOP लॉन्च तिथि अगस्त 2025
राज्य ओडिशा
संरक्षित भूमि प्रजातियाँ 163 किस्में
अंतरराष्ट्रीय मान्यता कोरापुट FAO द्वारा GIAHS घोषित (2012)
लागू अधिनियम PPVFRA, 2001 (पौधा किस्म संरक्षण और किसान अधिकार अधिनियम)
प्रशासकीय प्राधिकरण कृषि मंत्रालय के अंतर्गत PPV&FR प्राधिकरण
प्रमुख योजना श्री अन्ना अभियान (Shree Anna Abhiyan)
समुदाय केंद्रित पहल CSC (Community Seed Centres)
मूल्यांकन समिति LVRC (Landrace Varietal Release Committee)
अंतरराष्ट्रीय समर्थन FAO के GIAHS पहल के माध्यम से

 

Odisha's SOP Boosts Traditional Seed Revival
  1. ओडिशा ने कृषि में पारंपरिक भूमि प्रजातियों को पुनर्जीवित करने के लिए एक नई मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) शुरू की है।
  2. भूमि प्रजातियाँ जलवायु-प्रतिरोधी और कीट-प्रतिरोधी पारंपरिक बीज किस्में हैं।
  3. SOP, श्री अन्न अभियान बाजरा मिशन का हिस्सा है।
  4. 163 से अधिक भूमि प्रजातियों का संरक्षण किया गया है, जिनमें 14 किसान-पसंदीदा प्रजातियाँ शामिल हैं।
  5. स्थानीय बीज साझाकरण के लिए सामुदायिक बीज केंद्र (CSC) स्थापित किए गए हैं।
  6. उप-ज़िला स्तर पर फसल विविधता ब्लॉक (CDB) बनाए गए हैं।
  7. सहभागी किस्म चयन (PVS) परीक्षणों में किसान सीधे तौर पर शामिल होते हैं।
  8. बीजों के डिजिटल पंजीकरण में स्थानीय नाम और उपयोग शामिल हैं।
  9. भूमि प्रजाति किस्म विमोचन समिति (LVRC) द्वारा बीज विमोचन का प्रबंधन किया जाता है।
  10. PPVFRA, 2001 के तहत किसानों के अधिकारों की रक्षा की जाती है।
  11. SOP भूमि प्रजातियों के सामुदायिक स्वामित्व को बढ़ावा देता है।
  12. ओडिशा को कोरापुट क्षेत्र के लिए FAO के GIAHS के अंतर्गत मान्यता मिली।
  13. आधुनिक खेती और हरित क्रांति के कारण भू-प्रजातियों का नुकसान हुआ।
  14. यह पहल जनजातीय क्षेत्रों में कृषि-जैव विविधता हॉटस्पॉट का समर्थन करती है।
  15. कृषि मंत्रालय कार्यान्वयन की देखरेख करता है।
  16. भारत में हरित क्रांति 1960 के दशक में शुरू हुई।
  17. महिला स्वयं सहायता समूह बीज प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  18. मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) स्थानीय बीज किस्मों की कानूनी मान्यता सुनिश्चित करती है।
  19. ओडिशा जैव विविधता संरक्षण में मिसाल कायम करता है।
  20. पारंपरिक बीज पोषण और पारिस्थितिक संतुलन को बढ़ावा देते हैं।

Q1. Landraces क्या होते हैं?


Q2. बीज संरक्षण के लिए ओडिशा की पहल का नाम क्या है?


Q3. कौन-सा अधिनियम Landraces (पारंपरिक बीज किस्मों) के अधिकारों को कानूनी संरक्षण देता है?


Q4. FAO द्वारा GIAHS (वैश्विक कृषि विरासत स्थल) के रूप में ओडिशा के किस क्षेत्र को मान्यता प्राप्त है?


Q5. पारंपरिक बीज किस्मों को औपचारिक रूप से जारी करने वाली संस्था कौन-सी है?


Your Score: 0

Current Affairs PDF August 8

Descriptive CA PDF

One-Liner CA PDF

MCQ CA PDF​

CA PDF Tamil

Descriptive CA PDF Tamil

One-Liner CA PDF Tamil

MCQ CA PDF Tamil

CA PDF Hindi

Descriptive CA PDF Hindi

One-Liner CA PDF Hindi

MCQ CA PDF Hindi

News of the Day

Premium

National Tribal Health Conclave 2025: Advancing Inclusive Healthcare for Tribal India
New Client Special Offer

20% Off

Aenean leo ligulaconsequat vitae, eleifend acer neque sed ipsum. Nam quam nunc, blandit vel, tempus.