भारत का बढ़ता आवास ऋण बाजार
नेशनल हाउसिंग बैंक (NHB) ने “Trends and Progress of Housing in India 2024” रिपोर्ट जारी की, जिसमें आवास वित्त, ऋण वृद्धि, और नीतिगत प्रभावों पर प्रमुख जानकारी दी गई। 30 सितंबर 2024 तक, भारत में व्यक्तिगत आवास ऋण ₹33.53 लाख करोड़ तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 14% की वृद्धि दर्शाता है। लाभार्थियों में मध्यम आय वर्ग (MIG) 44%, आर्थिक रूप से कमजोर और निम्न आय वर्ग (EWS और LIG) 39%, और उच्च आय वर्ग (HIG) 17% शामिल हैं — यह ऋण समावेशन में वृद्धि को दर्शाता है।
ऋण वितरण और मूल्य सूचकांक प्रवृत्तियाँ
अप्रैल से सितंबर 2024 के बीच आवास ऋण वितरण ₹4.10 लाख करोड़ रहा, जिससे वित्तीय वर्ष 2023–24 के लिए कुल वितरण ₹9.07 लाख करोड़ तक पहुंचा। NHB-RESIDEX हाउसिंग मूल्य सूचकांक ने सितंबर 2024 तक 6.8% की वार्षिक वृद्धि दर्ज की, जो 2023 में 4.9% थी। यह शहरी क्षेत्रों में बढ़ती मांग और मूल्य वृद्धि को दर्शाता है।
सरकारी योजनाएँ और शहरी बुनियादी ढांचे का विस्तार
PMAY-Gramin (PMAY-G) और PMAY-Urban (PMAY-U) जैसी प्रमुख योजनाएँ किफायती आवास अंतर को कम करने और ग्रामीण–शहरी संतुलन को बढ़ावा देने में सहायक हैं। साथ ही, Urban Infrastructure Development Fund (UIDF) राज्य स्तरीय विकास को समर्थन देकर Tier-II और Tier-III शहरों में आवास बाजार को मजबूत करता है।
क्षेत्रीय ऋण वितरण में असमानता
रिपोर्ट में क्षेत्रीय ऋण असंतुलन को उजागर किया गया है। दक्षिण, पश्चिम और उत्तर भारत को मुख्यतः अधिक ऋण वितरण मिलता है, जबकि पूर्वी और उत्तर–पूर्वी राज्यों में ऋण पहुंच कम है। यह असंतुलन समावेशी आवास के लक्ष्य को चुनौती देता है, और इसके लिए क्षेत्र विशेष की नीतियाँ और अनुकूल ऋण ढांचा आवश्यक हैं।
हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों (HFCs) की भूमिका
HFCs विविध वर्गों को आवास ऋण पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनकी ग्राहक–केंद्रित नीति, लचीली शर्तें, और स्थानीय ऋण वितरण इसे प्रभावी बनाते हैं। हालांकि, दूरदराज के क्षेत्रों में इनकी सीमित मौजूदगी इनके प्रभाव को घटाती है। रिपोर्ट में इनकी बुनियादी ढाँचा सुदृढ़ीकरण और पहुँच विस्तार की सिफारिश की गई है।
भविष्य की दिशा और NHB की भूमिका
PMAY 2.0, शहरीकरण में वृद्धि, और भूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण जैसे सुधारों से यह क्षेत्र और सशक्त होगा। तकनीक आधारित निर्माण मॉडल तेजी पकड़ रहे हैं, जो टिकाऊ आवास वृद्धि का वादा करते हैं। नेशनल हाउसिंग बैंक, जो 1988 में NHB अधिनियम 1987 के तहत स्थापित हुआ, HFCs की निगरानी करता है, जबकि उनका नियमन RBI द्वारा किया जाता है, जिससे NHB की प्रवर्तक और पर्यवेक्षक की दोहरी भूमिका स्पष्ट होती है।
STATIC GK SNAPSHOT
विवरण | तथ्य |
NHB रिपोर्ट नाम | Trends and Progress of Housing in India 2024 |
लंबित आवास ऋण (सितंबर 2024) | ₹33.53 लाख करोड़ |
प्रमुख लाभार्थी वर्ग | MIG (44%), EWS & LIG (39%), HIG (17%) |
आवास मूल्य वृद्धि दर (YoY) | 6.8% (2023 में 4.9%) |
FY 2023–24 ऋण वितरण | ₹9.07 लाख करोड़ |
सरकारी योजनाएँ | PMAY-U, PMAY-G, UIDF |
क्षेत्रीय असमानता | पूर्वी व उत्तर-पूर्वी राज्यों में कम ऋण पहुँच |
NHB स्थापना | 9 जुलाई, 1988 (NHB अधिनियम, 1987 के तहत) |
NHB की भूमिका | HFCs की निगरानी करता है (नियामक: RBI) |