शहरी भारत में सामाजिक परिवर्तन की मिसाल
एक ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में, इंदौर भारत का पहला आधिकारिक रूप से भिखारी–मुक्त शहर बन गया है। इस घोषणा को जिला कलेक्टर आशीष सिंह ने सार्वजनिक किया, जिन्होंने इस अभियान की सफलता का श्रेय फरवरी 2024 में शुरू किए गए सामुदायिक प्रयासों को दिया। इस पहल की विशेषता केवल सड़कों से भिखारियों को हटाना नहीं, बल्कि लगभग 5,000 लोगों के सफल पुनर्वास में है। यह उपलब्धि राष्ट्रीय स्तर पर सराही गई, और विश्व बैंक द्वारा प्रशंसा प्राप्त कर, अन्य शहरों के लिए आदर्श बन गई है।
इंदौर ने भिक्षावृत्ति को कैसे समाप्त किया: चरणबद्ध रणनीति
यह अभियान केवल भिखारियों को हटाने तक सीमित नहीं था, बल्कि उनका जीवन पुनर्निर्माण करना इसका मुख्य उद्देश्य था। पहले जन–जागरूकता अभियान चलाया गया, जिसमें बताया गया कि बिना सोच-समझ के दिए गए पैसे कैसे शोषण को बढ़ावा देते हैं। फिर भिखारियों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया:
1. आदतन भिखारी (60%)
2. गरीबी या विकलांगता के कारण भीख माँगने वाले (20%)
3. जबरन भिक्षावृत्ति में धकेले गए लोग जैसे बच्चे और नशा पीड़ित (20%)
हर समूह को विशिष्ट पुनर्वास सहायता दी गई—जैसे कौशल प्रशिक्षण, शिक्षा या मानसिक स्वास्थ्य सहायता।
छोटे बच्चों को स्कूलों में नामांकित किया गया, जबकि वयस्कों को स्वावलंबी बनने के लिए प्रशिक्षण मिला। यही बदलाव की कहानियाँ इंदौर के प्रयासों की पहचान बन गईं।
समुदाय और कानून दोनों का प्रभाव
सामुदायिक सहभागिता इस बदलाव की कुंजी रही। विशेष ध्यान नाथ और नट समाज पर दिया गया, जिनका पारंपरिक जीवन भिक्षावृत्ति से जुड़ा था। जबरदस्ती हटाने के बजाय, सहयोग और विश्वास से उनके लिए प्रशिक्षण और सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं।
कानूनी पहल के तहत, भिक्षावृत्ति और दान देने दोनों पर प्रतिबंध लगाया गया। नियम उल्लंघन पर चेतावनी और एफआईआर दर्ज की गईं, और लोगों को भीख मांगने की सूचना देने पर इनाम की व्यवस्था की गई—जिससे आम जनता भी बदलाव की भागीदार बनी।
विश्व बैंक ने की इंदौर की सराहना
विश्व बैंक की टीम ने इंदौर का दौरा किया और भूतपूर्व भिक्षा-स्थलों को खाली और व्यवस्थित पाया। उन्होंने पुनर्वास केंद्रों का भी निरीक्षण किया जहाँ आवास, परामर्श और कौशल प्रशिक्षण जैसी सेवाएँ दी जा रही थीं। इस मॉडल को लेकर टीम प्रधानमंत्री कार्यालय को रिपोर्ट सौंपने की योजना बना रही है, ताकि इसे अन्य भारतीय शहरों में दोहराया जा सके।
आगे क्या?
हालाँकि इंदौर की सफलता उल्लेखनीय है, यह अभी परीक्षण चरण में है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा आधिकारिक निरीक्षण जल्द अपेक्षित है। यदि समीक्षा सफल रही, तो यह भारत के शहरी कल्याण दृष्टिकोण में एक बड़ा बदलाव ला सकता है।
STATIC GK SNAPSHOT
विषय | विवरण |
भिखारी-मुक्त घोषित शहर | इंदौर, मध्य प्रदेश |
अभियान की शुरुआत | फरवरी 2024 |
अभियान संचालक अधिकारी | आशीष सिंह, जिला कलेक्टर |
संबंधित मंत्रालय | सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय |
पुनर्वासित लोग | लगभग 5,000 |
विशिष्ट समुदाय | नाथ और नट समाज |
वैश्विक सराहना | विश्व बैंक द्वारा प्रशंसित, 2025 |
लागू प्रतिबंध | भीख माँगने और दान देने पर प्रतिबंध |
संभावित विस्तार | अन्य भारतीय शहरों के लिए मॉडल |