जुलाई 18, 2025 4:35 अपराह्न

इंदिरा गांधी पर नई किताब से आपातकाल युग की नई पड़ताल

समसामयिक मामले: इंदिरा गांधी और भारत को बदलने वाले वर्ष, टीसीए श्रीनिवास राघवन की नई पुस्तक, आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ, 26 जून 1975 आपातकाल, 1970 के दशक का भारतीय संवैधानिक संकट, कार्यपालिका विधायिका न्यायपालिका संघर्ष, इंदिरा गांधी का राजनीतिक विकास, संजय गांधी का प्रभाव आपातकाल, पीएन हक्सर की भूमिका आपातकाल, इलाहाबाद हाईकोर्ट का 1975 का फैसला

Indira Gandhi Book Brings Fresh Look at Emergency Era

एक ऐतिहासिक मोड़ की पुनरावृत्ति

जैसे-जैसे भारत 26 जून 2025 को आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ के करीब पहुंच रहा है, एक नई किताब इस दौर पर नई बहसों को जन्म दे रही है। “Indira Gandhi and the Years that Transformed India” नामक इस पुस्तक को वरिष्ठ पत्रकार और विद्वान टीसीए श्रीनिवास राघवन ने लिखा है। यह किताब 23 मई 2025 को प्रकाशित हुई और भारत के लोकतंत्र के सबसे विवादास्पद अध्याय की गहन, अकादमिक व्याख्या प्रस्तुत करती है। यह 1975 से 1977 के दौरान की कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के बीच संघर्ष की पड़ताल करती है, जब नागरिक अधिकारों पर अभूतपूर्व प्रतिबंध लगे थे।

आज के संदर्भ में इसका महत्व

संविधान की सीमाओं, नागरिक अधिकारों और संस्थागत संतुलन को लेकर आज जो चर्चा चल रही है, उसमें यह किताब एक महत्वपूर्ण समय पर आई है। आपातकाल की शुरुआत इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले से हुई, जिसमें 12 जून 1975 को इंदिरा गांधी को चुनावी गड़बड़ी का दोषी ठहराया गया। इसके महज़ दो हफ्ते बाद आपातकाल घोषित कर दिया गया। राघवन की किताब इस शक्ति संघर्ष को गहराई से समझाती है—यह केवल नाटकीय घटनाओं की सूची नहीं है, बल्कि यह दिखाती है कि कैसे भारत की संवैधानिक संस्थाएँ बदलीं, कैसे संजय गांधी का प्रभाव बढ़ा, और पीएन हक्सरनानी पालखीवाला जैसे लोगों की भूमिकाएं किस तरह अहम रहीं।

किताब की प्रमुख थीम

पुस्तक का मुख्य विचार है—संवैधानिक शक्ति संतुलन। इसमें बताया गया है कि 1970 का दशक वह समय था जब भारत की लोकतांत्रिक संस्थाएँ प्रभुत्व के लिए संघर्ष कर रही थीं। इंदिरा गांधी को पहले कमज़ोर नेता के रूप में देखा जाता था, लेकिन समय के साथ वह एक सशक्त राजनीतिक शक्ति बन गईं। लेखक ने यह भी दर्शाया कि कैसे 1970 के दशक में समाजवादी नीतियाँ और बाद में धर्मनिरपेक्ष रुख उभरा। इस युग ने आज की नागरिक स्वतंत्रता पर चल रही बहसों को जन्म दिया।

इतिहास से स्थैतिक तथ्य

किताब कुछ महत्वपूर्ण स्थैतिक जानकारियाँ भी उजागर करती है—आपातकाल 26 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक चला। इसकी मूल वजह थी इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला, जिसने इंदिरा गांधी के 1971 चुनाव को अवैध ठहराया। इसमें प्रमुख नाम रहे पीएन हक्सर, संजय गांधी, एएन रे, नानी पालखीवाला। मुख्य संवैधानिक प्रावधान था अनुच्छेद 352, जिसके तहत आपातकाल लगाया गया। इस दौरान मौलिक अधिकार निलंबित, प्रेस सेंसरशिप लागू, और कई बड़े नीतिगत बदलाव हुए—जैसे राष्ट्रीयकरण, प्रिवी पर्स का उन्मूलन, और धर्मनिरपेक्षता का संवर्धन

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विषय विवरण
पुस्तक शीर्षक Indira Gandhi and the Years that Transformed India
लेखक टीसीए श्रीनिवास राघवन
प्रकाशन तिथि 23 मई 2025
आपातकाल आरंभ 26 जून 1975
आपातकाल समापन 21 मार्च 1977
प्रमुख कारण इलाहाबाद हाईकोर्ट का 12 जून 1975 का फैसला
महत्वपूर्ण व्यक्ति पीएन हक्सर, संजय गांधी, नानी पालखीवाला, एएन रे
मुख्य संवैधानिक प्रावधान अनुच्छेद 352
प्रमुख विषय संस्थागत शक्ति संघर्ष, शासन में बदलाव, धर्मनिरपेक्ष व समाजवादी नीतियाँ
स्थैतिक तथ्य इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री रहीं 1966–1977 और 1980–1984

 

Indira Gandhi Book Brings Fresh Look at Emergency Era
  1. टीसीए श्रीनिवास राघवन द्वारा लिखित पुस्तक “Indira Gandhi and the Years that Transformed India” प्रकाशित हुई है।
  2. यह पुस्तक 23 मई 2025 को प्रकाशित हुई, जो आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ से पहले आई है।
  3. पुस्तक में 1975–77 के आपातकाल काल को एक शैक्षणिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया गया है।
  4. भारत में आपातकाल की घोषणा 26 जून 1975 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद की गई थी।
  5. 12 जून 1975 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी के 1971 के चुनाव को अमान्य घोषित कर दिया था।
  6. पुस्तक का केंद्रबिंदु कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के टकराव पर आधारित है।
  7. इस काल में नागरिक स्वतंत्रताओं को निलंबित किया गया और प्रेस पर सेंसरशिप लगाई गई।
  8. संविधान के अनुच्छेद 352 का उपयोग करके आपातकाल लागू किया गया था।
  9. संजय गांधी की प्रशासन में बढ़ती भूमिका की आलोचनात्मक विवेचना की गई है।
  10. पी.एन. हक्सर और नानी पालखीवाला जैसे प्रमुख व्यक्तित्वों की राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी रेखांकित की गई हैं।
  11. पुस्तक में इंदिरा गांधी के राजनीतिक अस्थिरता से सशक्त नेतृत्व में परिवर्तन को समझाया गया है।
  12. लेखक ने जबरन नसबंदी जैसे सनसनीखेज विषयों से परहेज कर संवैधानिक संस्थागत बदलावों पर ध्यान केंद्रित किया है।
  13. यह पुस्तक 1970 के दशक के दीर्घकालिक प्रभावों को नागरिक अधिकारों और शासन प्रणाली पर उजागर करती है।
  14. इंदिरा गांधी द्वारा अपनाई गई वामपंथी और धर्मनिरपेक्ष नीतियों की भी चर्चा की गई है।
  15. आपातकाल काल में संवैधानिक असंतुलन और केंद्रीकरण की प्रवृत्ति स्पष्ट हुई।
  16. यह युग लोकतंत्र और अधिनायकवाद के ऐतिहासिक संघर्ष का प्रतीक बना।
  17. मुख्य न्यायाधीश .एन. रे के तहत न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर सवाल उठे।
  18. यह पुस्तक लोकतांत्रिक व्यवस्था की नाजुकता को उजागर करती है।
  19. यह भूतकालीन संवैधानिक संकटों को वर्तमान नागरिक अधिकार बहसों से जोड़ती है।
  20. इंदिरा गांधी 1966–77 और फिर 1980–84 तक प्रधानमंत्री रहीं, जिन्होंने भारत की आधुनिक राजनीति को आकार दिया।

Q1. "Indira Gandhi and the Years that Transformed India" पुस्तक के लेखक कौन हैं?


Q2. 1975 में आपातकाल की घोषणा के लिए तत्काल कारण क्या था?


Q3. 1975 में आपातकाल की घोषणा के लिए भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद लागू किया गया था?


Q4. निम्नलिखित में से कौन से नेता को आपातकाल कालखंड से संबंधित प्रमुख व्यक्तित्व के रूप में लेख में नहीं दर्शाया गया है?


Q5. यह पुस्तक 1970 के दशक के भारतीय राजनीतिक कालखंड में किस मुख्य विषय को उजागर करती है?


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