भारतीय समाचार पत्र दिवस 2025: लोकतंत्र की पत्रकारिता को सलाम
29 जनवरी को पूरे भारत में भारतीय समाचार पत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन भारत में पहले समाचार पत्र के प्रकाशन की याद दिलाता है, जो ब्रिटिश काल के दौरान शुरू हुआ था। इसे राष्ट्रीय समाचार पत्र दिवस भी कहा जाता है। वर्ष 2025 में यह दिन इस बात को रेखांकित करता है कि डिजिटल युग में भी प्रिंट मीडिया नागरिकों को सूचित रखने और लोकतंत्र को मज़बूत करने का एक आवश्यक स्तंभ बना हुआ है।
भारत का पहला समाचार पत्र: एक ऐतिहासिक शुरुआत
भारतीय समाचार पत्रों का इतिहास सन् 1780 में शुरू हुआ, जब जेम्स ऑगस्टस हिकी ने हिकीज़ बंगाल गैजेट या कलकत्ता जनरल एडवरटाइज़र प्रकाशित किया। यह भारत का पहला मुद्रित समाचार पत्र था। इसने निर्भीक पत्रकारिता की नींव रखी और वॉरेन हेस्टिंग्स जैसे ब्रिटिश अधिकारियों की आलोचना करने से नहीं कतराया। 1782 में इसके बंद होने के बावजूद, इसने भारतीय प्रेस आंदोलन की दिशा तय कर दी।
राष्ट्र निर्माण में प्रेस की भूमिका
भारतीय समाचार पत्र दिवस केवल एक ऐतिहासिक स्मरण नहीं है, बल्कि यह मुक्त अभिव्यक्ति, सामाजिक सुधार, और जनमत निर्माण में प्रेस की भूमिका को भी उजागर करता है। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, समाचार पत्रों ने राष्ट्रवादी विचारों का प्रचार और ब्रिटिश शासन के खिलाफ जनजागरण में बड़ी भूमिका निभाई। आज़ादी के बाद भी, प्रेस पारदर्शिता और जन भागीदारी को बनाए रखने का माध्यम बना हुआ है।
औपनिवेशिक काल में प्रेस पर नियंत्रण
ब्रिटिश शासन के दौरान प्रेस को कई प्रतिबंधों और सेंसरशिप का सामना करना पड़ा। मद्रास कूरियर, बॉम्बे हेराल्ड, और बंगाल जर्नल जैसे प्रकाशन सामने आए, लेकिन इन्हें हमेशा दमन का डर रहा। 1878 में लॉर्ड लिटन ने वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट लागू किया, जो देशी भाषाओं में प्रकाशित होने वाले अखबारों को निशाना बनाता था। इसने सरकार को आलोचनात्मक समाचारों को जब्त करने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित करने का अधिकार दिया।
स्वतंत्र भारत में प्रेस सुधार
1947 में स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद भारत ने प्रेस से जुड़े औपनिवेशिक कानूनों की समीक्षा के लिए प्रेस जांच समिति (Press Enquiry Committee) गठित की। 1954 में न्यायमूर्ति राजाध्यक्ष की अध्यक्षता में प्रेस आयोग का गठन हुआ, जिसने पत्रकारिता की गुणवत्ता सुधारने की सिफारिशें दीं। इसके आधार पर प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) का गठन 1966 में हुआ। हालांकि आपातकाल के दौरान 1975 में इसे भंग कर दिया गया था, लेकिन 1979 में इसे पुनः स्थापित कर दिया गया।
डिजिटल युग में समाचार पत्रों का महत्व
तेज़ रफ्तार डिजिटल मीडिया के समय में, भारतीय समाचार पत्र दिवस यह याद दिलाता है कि तथ्य-जांच (fact-checking) और गहराई से विश्लेषण अब भी अखबारों की विशेषता है। जहाँ ऑनलाइन माध्यम तेजी देते हैं, वहीं अखबार सच्चाई, विश्लेषण, और संपादकीय दृष्टिकोण प्रदान करते हैं। यह दिन छात्रों और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे युवाओं को नियमित समाचार पत्र पढ़ने की प्रेरणा देता है।
Static GK Snapshot
श्रेणी | विवरण |
दिवस | 29 जनवरी प्रतिवर्ष |
भारत का पहला अखबार | हिकीज़ बंगाल गैजेट (1780) |
संस्थापक | जेम्स ऑगस्टस हिकी |
उपनिवेशीय कानून | वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट, 1878 |
प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया | 1966 में गठित, 1979 में पुनःस्थापित |
प्रमुख सुधार निकाय | प्रेस जांच समिति, राजाध्यक्ष आयोग |
महत्व | लोकतंत्र को सशक्त बनाना, जनमत निर्माण |
परीक्षा उपयोगिता | UPSC, TNPSC, SSC, बैंकिंग परीक्षा हेतु महत्वपूर्ण स्थैतिक GK |