संकटग्रस्त बोलियों की सुरक्षा
भारत की सांस्कृतिक पहचान में 461 जनजातीय भाषाएँ और 71 मातृभाषाएँ शामिल हैं। इनमें से कई विलुप्त होने के कगार पर हैं—81 असुरक्षित और 42 गंभीर रूप से संकटग्रस्त मानी गई हैं। इन्हें बचाने के लिए सरकार ने आदि वाणी, पहला एआई-आधारित जनजातीय भाषा अनुवादक पेश किया है, जिससे ये बोलियाँ डिजिटल युग में जीवित रह सकें।
स्थिर जीके तथ्य: संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 आधिकारिक भाषाएँ शामिल हैं, पर अधिकांश जनजातीय बोलियाँ इससे बाहर हैं।
जनजातीय गौरव वर्ष में शुभारंभ
आदि वाणी को जनजातीय गौरव वर्ष के तहत लॉन्च किया गया। इसका उद्देश्य है कि तकनीक और सांस्कृतिक संरक्षण को जोड़ा जाए और जनजातीय समुदायों की भागीदारी को बढ़ावा दिया जाए।
अनुसंधान और तकनीकी सहयोग
यह प्लेटफ़ॉर्म IndicTrans2 और No Language Left Behind (NLLB) जैसे उन्नत एआई मॉडलों पर आधारित है। इसे आईआईटी दिल्ली ने BITS पिलानी, IIIT हैदराबाद, IIIT नवा रायपुर और कई जनजातीय अनुसंधान संस्थानों (TRIs) के सहयोग से विकसित किया।
स्थिर जीके तथ्य: आईआईटी दिल्ली की स्थापना 1961 में हुई थी और यह वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त है।
मुख्य विशेषताएँ
आदि वाणी में कई सुविधाएँ हैं, जैसे—
- दो–तरफ़ा टेक्स्ट और स्पीच अनुवाद
- ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकग्निशन (OCR) से पांडुलिपियों का संरक्षण
- डिजिटल डिक्शनरी और रिपॉजिटरी
- सबटाइटलिंग टूल्स जागरूकता और शासन से जुड़ी सामग्री के लिए
इससे लोककथाओं, दुर्लभ लिपियों और प्रशासनिक सेवाओं को जनजातीय भाषाओं में संरक्षित और सुलभ बनाया जा सकेगा।
बीटा चरण की भाषाएँ
बीटा संस्करण में फिलहाल संताली, भीली, मुंडारी और गोंडी भाषाएँ उपलब्ध हैं। आगे चलकर कुई और गारो सहित अन्य जनजातीय भाषाएँ भी जोड़ी जाएंगी।
स्थिर जीके तथ्य: संताली भाषा की ओल चिकी लिपि 1925 में रघुनाथ मुर्मू ने विकसित की थी।
जनजातीय समुदाय की भागीदारी
इस परियोजना की सबसे बड़ी ताकत है जनजातीय समुदायों की सीधी भागीदारी। उन्होंने डेटासेट बनाने, अनुवाद सत्यापन और सांस्कृतिक प्रासंगिकता सुनिश्चित करने में सहयोग दिया, जिससे यह प्लेटफ़ॉर्म प्रामाणिक और प्रतिनिधिक बन सका।
विभिन्न क्षेत्रों में लाभ
आदि वाणी से कई क्षेत्रों में लाभ मिलेगा—
- शिक्षा में स्थानीय भाषाओं में डिजिटल लर्निंग
- स्वास्थ्य में मातृभाषा में संचार
- सरकारी योजनाओं का अनुवाद
- बीमारी जागरूकता, विशेषकर सिकल सेल एनीमिया से जुड़ी जानकारी का प्रसार
राष्ट्रीय कार्यक्रमों के साथ एकीकरण
यह पहल डिजिटल इंडिया, एक भारत श्रेष्ठ भारत और पीएम जनमान से जुड़ी है। यह एआई को सामाजिक भलाई के लिए प्रयोग करने का उदाहरण है, जो भारत की विविधता और समानता की संवैधानिक भावना को मज़बूत करता है।
स्थिर जीके तथ्य: डिजिटल इंडिया मिशन की शुरुआत जुलाई 2015 में हुई थी।
Static Usthadian Current Affairs Table
विषय | विवरण |
पहल | आदि वाणी एआई आधारित जनजातीय भाषा ट्रांसलेटर |
लॉन्च | जनजातीय कार्य मंत्रालय |
विकसित संस्थान | IIT दिल्ली, BITS पिलानी, IIIT हैदराबाद, IIIT नवा रायपुर, TRIs |
एआई मॉडल | IndicTrans2, NLLB |
बीटा भाषाएँ | संताली, भीली, मुंडारी, गोंडी |
आगामी भाषाएँ | कुई, गारो |
मुख्य सुविधाएँ | टेक्स्ट/स्पीच अनुवाद, OCR, डिजिटल शब्दकोश, सबटाइटलिंग |
राष्ट्रीय संरेखण | डिजिटल इंडिया, एक भारत श्रेष्ठ भारत, पीएम जनमान |
स्वास्थ्य पहल | सिकल सेल एनीमिया जागरूकता |
सांस्कृतिक उद्देश्य | 461 जनजातीय भाषाओं की सुरक्षा (42 गंभीर रूप से संकटग्रस्त) |