करवार से फिर चला प्राचीन धरोहर का जहाज
भारतीय नौसेना ने करवार नौसैनिक अड्डे से आईएनएसवी कौण्डिन्य नामक पारंपरिक सिले हुए पाल वाला जहाज प्रस्तुत किया है। इसका नाम प्राचीन भारतीय नाविक कौण्डिन्य के नाम पर रखा गया है, और इसका डिज़ाइन 5वीं सदी की अजंता गुफाओं के जहाज भित्तिचित्रों पर आधारित है। यह पूरी तरह हस्तनिर्मित परियोजना भारत की समुद्री विरासत को फिर से जोड़ने का प्रयास है।
कौण्डिन्य की दक्षिण-पूर्व एशियाई विरासत की स्मृति
कौण्डिन्य को दक्षिण–पूर्व एशिया की ओर समुद्र से यात्रा करने वाले पहले भारतीय नाविक के रूप में माना जाता है। कंबोडिया और वियतनाम के ऐतिहासिक ग्रंथों के अनुसार, उनकी यात्रा ने फुनान साम्राज्य की स्थापना में योगदान दिया, जिससे भारत की प्राचीन सांस्कृतिक कूटनीति स्पष्ट होती है। इस जहाज का नामकरण उनके सम्मान में किया गया है।
पारंपरिक जहाज निर्माण कौशल का पुनर्जन्म
आईएनएसवी कौण्डिन्य को सिलाई तकनीकों से तैयार किया गया है, जो भारत के प्राचीन तटीय इलाकों में प्रचलित थी। इसमें नारियल के रेशे की रस्सी, नारियल की भूसी और प्राकृतिक रेज़िन का उपयोग किया गया है। केरल के कुशल कारीगरों ने यह शिल्प फिर से जीवंत किया, जिससे यह परियोजना भारत की पर्यावरण–हितैषी जहाज निर्माण परंपराओं को संजोती है।
प्रतीकात्मक डिज़ाइन और समुद्री जड़ें
जहाज को भारत के ऐतिहासिक समुद्री प्रतीकों से सजाया गया है। इसके पालों पर गंडभेरुंड अंकित है, जो कदंब वंश से जुड़ा है, जबकि सिंह याली को अग्रभाग पर उकेरा गया है। साथ ही, एक हड़प्पा–शैली का पत्थर लंगर इसकी सिंधु घाटी व्यापार परंपराओं की झलक देता है। इसकी संरचना में चौकोर पाल, दो मस्तूल और बूस्प्रिट जैसे पारंपरिक नौकायन तत्व हैं।
समुद्री आदान-प्रदान की पुनर्जीवन यात्रा
इस जहाज में आधुनिक नेविगेशन उपकरण नहीं हैं; इसकी दिशा नियंत्रण के लिए परंपरागत चप्पू और समद्रष्टा विधियाँ प्रयोग की जाएंगी। यह जहाज भारत से ओमान तक की यात्रा करेगा, जिससे प्राचीन हिंद महासागर व्यापार मार्गों को पुनर्जीवित किया जाएगा—यह इतिहास और रोमांच का अनूठा संगम है।
समुद्री परंपराओं को संजोने का राष्ट्रीय प्रयास
यह मिशन भारतीय नौसेना, संस्कृति मंत्रालय और होडी इनोवेशन्स के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसका उद्देश्य केवल इतिहास को जीवित करना नहीं है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भारत की समुद्री पहचान से जोड़ना और गौरवपूर्ण नौसैनिक परंपरा को आगे बढ़ाना है।
STATIC GK SNAPSHOT
विषय | विवरण |
जहाज का नाम | आईएनएसवी कौण्डिन्य |
प्रक्षेपण स्थान | करवार नौसैनिक अड्डा, कर्नाटक |
ऐतिहासिक प्रेरणा | अजंता गुफा जहाज भित्तिचित्र (5वीं सदी ई.) |
सम्मानित नाविक | कौण्डिन्य – फुनान साम्राज्य से संबद्ध |
निर्माण सामग्री | नारियल की रस्सी, भूसी, प्राकृतिक रेज़िन |
समुद्री प्रतीक | गंडभेरुंड, सिंह याली, हड़प्पा शैली लंगर |
नियोजित यात्रा | भारत से ओमान (हिंद महासागर प्राचीन मार्ग) |
परियोजना सहयोगी | भारतीय नौसेना, संस्कृति मंत्रालय, होडी इनोवेशन्स |