जुलाई 18, 2025 9:35 पूर्वाह्न

असम ने प्रवासियों की निष्कासन के लिए 1950 के कानून को फिर से लागू करने की तैयारी की

समसामयिक मामले: असम से अप्रवासी निष्कासन अधिनियम 1950, असम में अवैध प्रवासी 2025, नागरिकता अधिनियम धारा 6ए, असम आंदोलन 1979, असम समझौता 1985, विदेशी अधिनियम भारत, हिमंत बिस्वा सरमा, पूर्वी बंगाल विभाजन प्रवास, अवैध आप्रवास पर सर्वोच्च न्यायालय

Assam Moves to Revive 1950 Law for Migrant Expulsion

चालू घटनाएँ: असम से अप्रवासी निष्कासन अधिनियम 1950, असम में अवैध प्रवासी 2025, नागरिकता अधिनियम धारा 6A, असम आंदोलन 1979, असम समझौता 1985, विदेशी अधिनियम भारत, हिमंत बिस्वा सरमा, पूर्वी बंगाल विभाजन प्रवास, अवैध आव्रजन पर सुप्रीम कोर्ट

असम ने तेज कार्रवाई के लिए पुराने कानून का रुख किया

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने घोषणा की है कि राज्य जल्द ही अवैध प्रवासियों के निष्कासन हेतु 1950 के कानून को लागू करेगा। यह कानून भारत के विभाजन के बाद तैयार किया गया था और इससे सरकार को बिना लंबी अदालती प्रक्रिया के अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों को निष्कासित करने का अधिकार मिलता है। वर्षों से अवैध प्रवास की समस्या से जूझ रहे असम के लिए यह कदम तेज कार्रवाई की दिशा में देखा जा रहा है।

1950 का कानून क्या है?

Immigrants (Expulsion from Assam) Act 1 मार्च 1950 को लागू हुआ। यह भारत के विभाजन के बाद पूर्वी बंगाल (अब बांग्लादेश) से आए प्रवासियों की बढ़ती संख्या के जवाब में लाया गया था। इस कानून के तहत केंद्र सरकार को ऐसे लोगों को असम से निष्कासित करने का अधिकार मिला जिनकी उपस्थिति जनशांति या अनुसूचित जनजातियों के अधिकारों को प्रभावित कर सकती थी।

अधिकारियों को विशेष शक्तियां

इस अधिनियम की एक विशेष बात यह है कि जिला आयुक्त सीधे निष्कासन आदेश दे सकते हैं, जिसके लिए कोर्ट की आवश्यकता नहीं होती। हालांकि यह कानून असम के लिए बनाया गया था, लेकिन तकनीकी रूप से यह पूरे भारत में लागू हो सकता है। समय के साथ यह कानून लगभग भुला दिया गया था।

असम आंदोलन और उसकी विरासत

1979 में शुरू हुए असम आंदोलन ने अवैध प्रवास के मुद्दे को फिर से केंद्र में ला दिया। ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) द्वारा शुरू किए गए इस आंदोलन का उद्देश्य विदेशियों की पहचान और निष्कासन था। इसका परिणाम 1985 के असम समझौते के रूप में हुआ, जिसमें यह तय किया गया कि 24 मार्च 1971 के बाद असम में आए व्यक्ति को विदेशी माना जाएगा।

अवैध प्रवास पर सुप्रीम कोर्ट की राय

अक्टूबर 2024 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने नागरिकता अधिनियम की धारा 6A को वैध ठहराया, जो असम में बांग्लादेश से आए प्रवासियों के लिए नागरिकता प्रावधानों को नियंत्रित करती है। साथ ही, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि 1950 का अधिनियम आज भी लागू है और यह नागरिकता अधिनियम तथा विदेशी अधिनियम के साथ-साथ कार्य कर सकता है।

राज्य सरकार की नई दिशा

मुख्यमंत्री सरमा का कहना है कि पिछली सरकारें इस कानून से अनभिज्ञ थीं, लेकिन अब राज्य इसे सक्रिय रूप से लागू करेगा ताकि नए अवैध प्रवासियों की पहचान और निष्कासन तेज़ी से किया जा सके। हालांकि, जो लोग पहले से अदालती मामलों में शामिल हैं, उन्हें इससे छूट मिलेगी।

संभावित व्यापक प्रभाव

इस कानून के पुनः लागू होने से अन्य राज्य भी अवैध प्रवासियों से निपटने के लिए इस दिशा में सोच सकते हैं। साथ ही, यह असम में जातीय पहचान, भूमि अधिकारों और जनसांख्यिकीय संतुलन से जुड़ी संवेदनशीलता को भी दर्शाता है।

Static Usthadian Current Affairs Table

विषय विवरण
कानून का नाम अवैध प्रवासियों का निष्कासन (असम से) अधिनियम, 1950
अधिनियम की तारीख 1 मार्च 1950
मूल उद्देश्य पूर्वी बंगाल से विभाजन के बाद प्रवास को नियंत्रित करना
प्रमुख प्राधिकारी केंद्र सरकार एवं जिला आयुक्त
असम समझौता तिथि 1985
असम आंदोलन की शुरुआत 1979
असम में नागरिकता की कट-ऑफ तिथि 24 मार्च 1971
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा
सुप्रीम कोर्ट निर्णय अक्टूबर 2024 – धारा 6A वैध घोषित

 

Assam Moves to Revive 1950 Law for Migrant Expulsion
  1. असम सरकार 1950 केअवैध प्रवासियों (असम से निष्कासन) अधिनियम को लागू करने की योजना बना रही है ताकि अवैध प्रवासियों को तेजी से निष्कासित किया जा सके।
  2. यह अधिनियम न्यायालयी प्रक्रिया के बिना ही अधिकारियों को अवैध प्रवासियों को बाहर निकालने की शक्ति देता है।
  3. यह कानून 1 मार्च 1950 को भारतपाक विभाजन के बाद पूर्व बंगाल से बढ़ते प्रवास को नियंत्रित करने के लिए लाया गया था।
  4. जिला उपायुक्तों (DCs) को इस कानून के तहत प्रत्यक्ष निष्कासन आदेश जारी करने का अधिकार दिया गया है।
  5. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस भूलेबिसरे कानून को सक्रिय रूप से लागू करने की घोषणा की।
  6. इस कदम का मुख्य उद्देश्य बांग्लादेश से अवैध रूप से आने वाले प्रवासियों पर कार्रवाई करना है।
  7. 1979 में शुरू हुआ असम आंदोलन, जिसे AASU (अखिल असम छात्र संघ) ने नेतृत्व दिया, ने अवैध प्रवासियों के मुद्दे को केंद्र में लाया
  8. 1985 के असम समझौते में 24 मार्च 1971 को नागरिकता का अंतिम सीमा तिथि माना गया।
  9. सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2024 में नागरिकता अधिनियम की धारा 6A को वैध ठहराया
  10. अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि 1950 का अधिनियम आज भी वैध है और लागू किया जा सकता है
  11. अब विदेशी अधिनियम और 1950 अधिनियम एक साथ प्रवासी मामलों में लागू किए जा सकते हैं।
  12. इस अधिनियम का मूल उद्देश्य जन शांति और जनजातीय अधिकारों की रक्षा करना था।
  13. पहले की सरकारें इस कानून के अस्तित्व या इसके उपयोग को लेकर निष्क्रिय या अनभिज्ञ थीं।
  14. यह कानून तकनीकी रूप से पूरे भारत में लागू हो सकता है, लेकिन मुख्य रूप से असम के लिए बनाया गया था।
  15. यह कदम निर्वासन मामलों में लंबी कानूनी प्रक्रिया से बचने के लिए उठाया गया है।
  16. जिन प्रवासियों के मामले पहले से अदालत में लंबित हैं, उन पर इस पुनरुद्धार का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा
  17. 1950 का कानून नए अवैध प्रवेश को तुरंत निष्कासित करने में मदद करता है।
  18. असम की यह पहल अन्य राज्यों की प्रवासी नीति को प्रभावित कर सकती है
  19. यह कदम जातीय पहचान, भूमि अधिकार और जनसांख्यिकीय संतुलन से जुड़ी चिंताओं से भी जुड़ा है।
  20. यह अधिनियम अवैध प्रवासन को नियंत्रित करने के लिए असम की कानूनी व्यवस्था को मजबूत करता है

Q1. असम से आप्रवासियों की निष्कासन अधिनियम, 1950 का मुख्य उद्देश्य क्या है?


Q2. 1950 अधिनियम के पारित होने का प्रमुख ऐतिहासिक कारण क्या था?


Q3. किस प्रमुख आंदोलन ने 1985 में असम समझौते के हस्ताक्षर की राह प्रशस्त की?


Q4. नागरिकता अधिनियम की धारा 6A के संबंध में 2024 में सुप्रीम कोर्ट का क्या निर्णय था?


Q5. 1950 अधिनियम की एक प्रमुख प्रशासनिक विशेषता क्या है?


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