व्यापार युद्ध क्या है और इसकी शुरुआत कैसे हुई
संयुक्त राज्य अमेरिका ने 2025 में अपने शीर्ष व्यापार भागीदारों पर उच्च टैरिफ लगाकर वैश्विक व्यापार विवाद को फिर से शुरू कर दिया है। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा और मैक्सिको से आयातित वस्तुओं पर 25% और चीन से आने वाले सामानों पर 10% शुल्क की घोषणा की। इसका उद्देश्य अमेरिका के $1 ट्रिलियन के व्यापार घाटे को कम करना है। लेकिन यह कदम अमेरिकी उपभोक्ताओं पर महंगाई के रूप में लौट सकता है—खासकर एवोकाडो, जूते और कारों जैसी आवश्यक वस्तुओं पर।
व्यापार युद्ध क्या है और इसका वैश्विक महत्व
व्यापार युद्ध वह स्थिति है जब दो या अधिक देश एक-दूसरे की वस्तुओं पर उच्च टैरिफ लगाकर प्रतिक्रिया देते हैं। यह नीति घरेलू उद्योगों की रक्षा के लिए बनाई जाती है, लेकिन इसके परिणामस्वरूप कीमतों में वृद्धि और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बाधा उत्पन्न हो सकती है। इस बार अमेरिका ने अवैध आव्रजन और नशीली दवाओं की तस्करी को भी अपने फैसले के पीछे के कारणों में शामिल किया है। व्यापक असर के रूप में मुद्रास्फीति और द्विपक्षीय व्यापार तनाव बढ़ सकते हैं।
जवाबी कार्रवाई: कनाडा, मैक्सिको और चीन की रणनीति
अमेरिका की घोषणा के तुरंत बाद, कनाडा और मैक्सिको जैसे देश जवाबी कार्रवाई में जुट गए हैं। कनाडा ने अमेरिकी वस्तुओं पर 25% टैरिफ लगा दिया है, और मैक्सिको भी ऐसी ही कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। चीन की प्रतिक्रिया भी जल्द आने की उम्मीद है। इन कदमों से वैश्विक व्यापार में अस्थिरता उत्पन्न हो सकती है और निर्यात–आयात पर निर्भर अर्थव्यवस्थाओं को झटका लग सकता है।
भारत की संतुलन नीति: सावधानीपूर्वक कदम
हालांकि भारत पर सीधी चोट नहीं पड़ी, लेकिन भारत सावधानी से रणनीति बना रहा है। अमेरिका के व्यापार घाटे में भारत की हिस्सेदारी 3.2% है, जो अपेक्षाकृत कम है। फिर भी, किसी व्यापारिक टकराव से बचने के लिए भारत ने 2025–26 के बजट में अमेरिकी वस्तुओं (जैसे मोटरसाइकिल, उपग्रह उपकरण) पर आयात शुल्क घटा दिए। यह भारत की एक रणनीतिक कूटनीतिक नीति है—जिसमें अमेरिका से मजबूत संबंध बनाए रखना और अपने आर्थिक हितों की रक्षा करना शामिल है।
जोखिम में भारतीय निर्यात क्षेत्र
भारत का अमेरिका के साथ व्यापार अधिशेष है—मुख्य रूप से औषधि, समुद्री उत्पाद, रत्न और आभूषण जैसे क्षेत्रों में। यदि अमेरिका इन क्षेत्रों को अपने टैरिफ सूची में शामिल करता है, तो यह निर्यातकों की प्रतिस्पर्धा शक्ति को नुकसान पहुंचा सकता है और MSME आधारित उद्योगों में रोज़गार पर भी असर पड़ेगा। दीर्घकालिक रूप से, इसका आर्थिक प्रभाव गहरा हो सकता है।
स्टैटिक GK स्नैपशॉट: भारत-अमेरिका व्यापार और वैश्विक नीति
विषय | विवरण |
अमेरिका का व्यापार घाटा (2025) | $1 ट्रिलियन से अधिक |
अमेरिका के व्यापार घाटे में सबसे बड़ा योगदानकर्ता | चीन – 30% |
भारत की रैंक | 9वीं, योगदान – 3.2% |
भारत का पहला केंद्रीय बजट | आर. के. शनमुखम चेट्टी, 26 नवंबर 1947 |
संरक्षणवादी व्यापार नीति | घरेलू उद्योग को बढ़ावा देने हेतु टैरिफ लगाना |
भारत का केंद्रीय बजट 2025–26 | कुछ अमेरिकी वस्तुओं पर आयात शुल्क में कटौती |
भारत के प्रमुख निर्यात (अमेरिका को) | औषधि, समुद्री उत्पाद, रत्न और आभूषण |