द्विपक्षीय सहयोग को मजबूती देने वाली ऐतिहासिक यात्रा
मई 2025 में अंगोला के राष्ट्रपति जोआओ लॉरेंसो की भारत यात्रा भारत और अफ्रीका के बीच रणनीतिक संबंधों को गहराने की दिशा में एक अहम कदम रही। इस यात्रा के दौरान आयुर्वेद, कृषि, रक्षा और संस्कृति के क्षेत्रों में सहयोग के लिए कई महत्त्वपूर्ण समझौते (MoU) हुए। यह भारत की विस्तारित पड़ोस नीति के तहत अफ्रीका के साथ संबंधों को सुदृढ़ करने की पहल को दर्शाता है।
प्रमुख समझौते: आयुर्वेद से लेकर कृषि तक
भारत और अंगोला के बीच तीन प्रमुख समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। पहला समझौता आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा पर केंद्रित है, जिससे संयुक्त अनुसंधान, प्रशिक्षण और विशेषज्ञता का आदान–प्रदान बढ़ेगा। दूसरा MoU कृषि सहयोग को सशक्त बनाने पर केंद्रित है, जिसमें ज्ञान और तकनीक साझा करने पर बल दिया गया। तीसरा समझौता संस्कृतिक कार्यक्रमों (2025–2029) के लिए है, जिसमें प्रदर्शनियों और त्योहारों के माध्यम से सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहित किया जाएगा।
अंगोला ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) की सदस्यता ग्रहण की
इस यात्रा की एक मुख्य उपलब्धि रही कि अंगोला ने ISA की रूपरेखा संधि पर हस्ताक्षर करते हुए 123वां सदस्य बन गया। यह संगठन भारत के नेतृत्व में उन देशों में सौर ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए कार्य करता है जो कर्क और मकर रेखा के बीच स्थित हैं। अंगोला की सदस्यता जलवायु परिवर्तन की दिशा में उसकी प्रतिबद्धता और भारत की स्वच्छ ऊर्जा नेतृत्व भूमिका को और सुदृढ़ करती है।
भारत ने दी 200 मिलियन डॉलर की रक्षा ऋण सहायता
भारत ने अंगोला को 200 मिलियन डॉलर की लाइन ऑफ क्रेडिट प्रदान करने की घोषणा की, जिससे वह रक्षा क्षेत्र की सामग्री और सेवाएं प्राप्त कर सकेगा। यह कदम भारत के ‘मेक इन इंडिया‘ रक्षा निर्यात अभियान को समर्थन देने के साथ-साथ भारत–अंगोला रणनीतिक सहयोग में विश्वास को भी दर्शाता है। अंगोला की प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर अर्थव्यवस्था और भू–राजनीतिक स्थिति भारत की अफ्रीका नीति में उसे एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाती है।
परीक्षा हेतु Static GK स्नैपशॉट
विषय | विवरण |
यात्रा का उद्देश्य | राष्ट्रपति जोआओ लॉरेंसो की भारत यात्रा |
यात्रा का समय | मई 2025 |
हस्ताक्षरित समझौते | 3 (पारंपरिक चिकित्सा, कृषि, संस्कृति) |
सांस्कृतिक सहयोग अवधि | 2025–2029 |
ISA सदस्यता | अंगोला बना 123वां सदस्य |
ISA का उद्देश्य | कर्क और मकर रेखा के बीच देशों में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना |
रणनीतिक महत्व | भारत-अफ्रीका संबंधों में मजबूती, दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा |