6 जनवरी की वाकआउट घटना: विधानसभा प्रोटोकॉल पर टकराव का बिंदु
6 जनवरी 2025 को, तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि ने अपना अभिभाषण देने से ठीक पहले विधानसभा सत्र से वाकआउट कर दिया। उनका कारण? राष्ट्रगान अभिभाषण से पहले नहीं बजाया गया। इसके बजाय, तमिलनाडु की पारंपरिक राज्य गीत “तमिल थाई वazhthu” को पहले प्रस्तुत किया गया। इस कदम ने राजनीतिक हलकों में उथल-पुथल मचा दी और यह सवाल खड़ा कर दिया कि क्या यह राष्ट्रीय सम्मान का उल्लंघन था या सिर्फ राज्यीय परंपरा का पालन।
राज्य की परंपरा बनाम राष्ट्रीय प्रतीक
तमिलनाडु सरकार ने स्पष्ट किया कि 1991 से विधानसभा सत्र तमिल थाई वazhthu से प्रारंभ और “जन गण मन” से समापन करने की परंपरा रही है। यह प्रोटोकॉल जयललिता सरकार के समय औपचारिक रूप से अपनाया गया था। इसका उद्देश्य तमिल संस्कृति का सम्मान और साथ ही राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है। सरकार ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रगान को पहले न बजाना असम्मान नहीं, बल्कि स्थानीय परंपरा का अनुपालन था।
तमिल थाई वazhthu क्या है और यह क्यों महत्वपूर्ण है?
तमिल थाई वazhthu एक प्रार्थना गीत है जो तमिल भाषा और मातृभूमि की स्तुति करता है। यह कोई राष्ट्रीय प्रतीक नहीं है। मद्रास उच्च न्यायालय ने 2021 में स्पष्ट किया था कि इस गीत के दौरान खड़ा होना सम्मान का प्रतीक है, न कि कोई कानूनी बाध्यता। यह गीत तमिलनाडु में राजकीय और सांस्कृतिक आयोजनों में सम्मानपूर्वक गाया जाता है, जिससे क्षेत्रीय अस्मिता और राष्ट्रीय मूल्यों के संतुलन की भावना झलकती है।
राष्ट्रगान: सम्मान का प्रतीक या कानूनी अनिवार्यता?
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 51A(क) नागरिकों पर राष्ट्रगान, राष्ट्रीय ध्वज और संविधान के प्रति सम्मान प्रकट करने की जिम्मेदारी रखता है। हालांकि, न तो संविधान और न ही गृह मंत्रालय (MHA) के दिशा-निर्देश स्पष्ट करते हैं कि राज्य विधानसभाओं में राष्ट्रगान अनिवार्य है या नहीं। MHA केवल सैन्य समारोहों, विद्यालयों और सरकारी आयोजनों में राष्ट्रगान बजाने की बात करता है, जिससे यह विषय एक कानूनी धुंधलापन में रह जाता है।
सिर्फ एक गीत का विवाद नहीं, संघीय संबंधों की गहराई
राज्यपाल रवि का वाकआउट एक अलग–थलग घटना नहीं है। यह गैर–भाजपा शासित राज्यों और राज्यपालों के बीच बढ़ते तनाव को दर्शाता है। तमिलनाडु में पहले भी विधेयकों की मंजूरी में देरी और प्रोटोकॉल टकराव देखे गए हैं। यह घटना केवल संविधानिक प्रतीकों की नहीं, बल्कि राजनीतिक शक्ति संतुलन की भी कहानी है—जो भारत की संघीय व्यवस्था की जटिलताओं को सामने लाती है।
STATIC GK SNAPSHOT FOR COMPETITIVE EXAMS
विषय | तथ्य |
घटना की तिथि | 6 जनवरी 2025 |
तमिलनाडु के राज्यपाल | आर.एन. रवि |
राज्य गीत | तमिल थाई वazhthu |
भारत का राष्ट्रगान | जन गण मन |
तमिल थाई वazhthu की स्थिति | प्रार्थना गीत; राष्ट्रीय प्रतीक नहीं (मद्रास हाईकोर्ट, 2021) |
संबंधित अनुच्छेद | अनुच्छेद 51A(क) – राष्ट्रगान और ध्वज के प्रति सम्मान देना एक मूल कर्तव्य |
गृह मंत्रालय दिशा–निर्देश | औपचारिक आयोजनों के लिए सूचीबद्ध; विधानसभा में कोई स्पष्ट नियम नहीं |
संसद प्रोटोकॉल | राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान प्रारंभ और अंत में राष्ट्रगान बजाया जाता है |
तमिलनाडु विधानसभा की परंपरा | 1991 से जयललिता सरकार के अंतर्गत अपनाई गई |
संबंधित न्यायिक मामला | मद्रास हाईकोर्ट 2019 व 2021: प्रत्येक सार्वजनिक आयोजन में राष्ट्रगान जरूरी नहीं |